धर्म

अपनी मां कि वजह से युधिष्ठिर ने दे डाला था समस्त नारीजाति को ऐसा श्राप…कलियुग में भी भुगतना पड़ रहा है आज?

India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat Yudhishthir Facts: महाभारत के युद्ध के बाद जब कर्ण की मृत्यु हो गई, तो माता कुंती ने उसके शव को गोद में लेकर अत्यंत विलाप किया। पांडवों के लिए यह दृश्य चौंकाने वाला था, क्योंकि कर्ण उनके शत्रु माने जाते थे। तब माता कुंती ने यह बड़ा रहस्य उजागर किया कि कर्ण उनका पहला पुत्र था और इस प्रकार, वह पांडवों का बड़ा भाई था।

यह सुनकर युधिष्ठिर को गहरा आघात लगा। एक ओर उन्हें अपने ही भाई की हत्या का दुःख हुआ, तो दूसरी ओर अपनी माता के इस बड़े सच को इतने वर्षों तक छिपाए रखने पर क्रोध आया। युधिष्ठिर को यह अहसास हुआ कि अगर वे पहले से इस सच्चाई को जानते होते, तो शायद यह विनाशकारी युद्ध टल सकता था, और कर्ण उनका शत्रु नहीं, बल्कि उनका सहायक होता।

कर्ण की वीरता और निष्ठा

कर्ण की वीरता और निष्ठा का आदर करते हुए युधिष्ठिर ने कहा, “अगर मुझे यह पहले से ज्ञात होता कि कर्ण मेरा भाई है, तो यह युद्ध न होता और हम सभी मिलकर पूरी दुनिया को जीत सकते थे।” कर्ण ने अपने मित्र दुर्योधन के साथ मित्रता का धर्म निभाते हुए उसके पक्ष में युद्ध किया, जो कि पांडवों के लिए त्रासदी का कारण बना।

सिर्फ कलियुग में ही नहीं बल्कि महाभारत जैसे युद्ध में भी किया गया था इन सबसे जरुरी नियमों का उल्लंघन, इस एक ने तो भगवान को भी कर दिया था दंग?

महाविनाशकारी युद्ध

युधिष्ठिर को इस बात का गहरा दुःख हुआ कि माता कुंती ने इतने बड़े सत्य को अपने हृदय में छिपाए रखा, जिसके कारण लाखों लोग मारे गए और एक महाविनाशकारी युद्ध हुआ। क्रोध और विषाद में, युधिष्ठिर ने माता कुंती और समस्त नारी जाति को श्राप दिया कि अब से महिलाएं अपने दिल में कोई बात छिपा नहीं पाएंगी।

अर्जुन नहीं उनका ही ये गुमनाम शिष्य था महाभारत का सबसे खतरनाक योद्धा, कर्ण भी उसके सामने कुछ नहीं!

युधिष्ठिर का यह श्राप

कहा जाता है कि युधिष्ठिर का यह श्राप आज भी महिलाओं के साथ है, और इसीलिए ऐसा माना जाता है कि महिलाएं अपने मन की बातें बहुत लंबे समय तक छिपा नहीं पातीं। हालांकि, यह एक पौराणिक कथा का हिस्सा है, जिसे प्रतीकात्मक रूप में लिया जाता है, और इसे आज के संदर्भ में सत्य या वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं माना जा सकता।

यह कथा महाभारत के चरित्रों की भावनाओं, रिश्तों और मानवीय कमजोरियों को दर्शाती है, और साथ ही यह भी दिखाती है कि कैसे बड़े से बड़े योद्धा और राजा भी व्यक्तिगत त्रासदियों से प्रभावित होते हैं।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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