इंडिया न्यूज, वाशिंगटन:
Scientists Alert जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण का बुरा असर समुद्र में भी दिखने लगा है। वैज्ञानिकों ने इसको लेकर चेतावनी दी है। उनका कहना है कि प्रदूषण कम नहीं हुआ तो आने वाला समय खतरनाक हो सकता है।
जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव पौधों और पानी में रहने वाले जीवों पर पड़ेगा। वैज्ञानिकों ने इस खतरे को देखते हुए महासागरों और समुद्र के जल में Oxygen का मूल्यांकन करने की सलाह दी है।
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वैज्ञानिकों का कहना है कि महासागरों और कुछ तटीय क्षेत्रों का जल Oxygen की कमी से डेड जोन बन सकता है, जहां कोई भी जीव या पौधा किसी स्थिति में जीवित नहीं रह सकता है। ये घटना दुनिया के लिए नई चुनौती बन सकती है। सात महाद्वीपों के वैज्ञानिकों ने 22 देशों के 45 संस्थानों के 57 वैज्ञानिकों ने Oxygen का मूल्यांकन करने सलाह देते हुए कहा है कि महासागरों और समुद्री तटीय क्षेत्रों के जल में Oxygen की कमी के मसले को गंभीरता से लेना होगा। दुनियाभर में मूंगा चट्टान और मछलीपालन को बचाने के लिए वैश्विक स्तर पर निगरानी करनी होगी।
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वैज्ञानिकों ने कहा हैकि महासागरों में Oxygen की कमी से Global Economy को भी नुकसान होगा। Glasgow में जलवायु परिवर्तन को लेकर आयोजित Cop-26 Meeting में भी जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को लेकर चर्चा हुई थी। अब वैज्ञानिकों ने कहा है कि जीवाश्म ईंधन के जलने के कारण महासागरों में गर्मी का स्तर बढ़ रहा है। जीवाश्म ईंधन के जलने से महासागर और समुद्री क्षेत्र भी प्रदूषित हो रहे हैं। दुनियाभर में मानव जीवन के साथ मछली पालन और ईको सिस्टम पर इसका असर पड़ना तय है।
न्यूयॉर्क के स्टेट यूनिवर्सिटी के Pro. Karin Limberg ने सलाह दी है कि वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में महासागरों के जल में Oxygen की स्थिति को मापने का वक्त है। वैज्ञानिकों का एक दल कम Oxygen वाले Hotspot की पहचान करे जिससे वहां पर भविष्य के लिए तैयारी की जा सके। जरा सी चूक पूरे जलीय संपदा को नुकसान पहुंचा सकती है, जिसका बड़ा आर्थिक नुकसान हो सकता है।
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