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दिल्ली विश्वविद्यालय में होली पर प्रतिबंध, ABVP ने किया विरोध

Roshan Kumar • LAST UPDATED : March 5, 2023, 7:50 am IST

Holi Ban in Universities: होली का पर्व आपसी भाईचारे को बढ़ाने वाला होता है। इस साल होली का पर्व 8 मार्च को मनाया जाएगा। क्या वृंदावन और क्या बनारस, भारत के अलग-अलग हिस्सों में होली मनाने के लिए विदेशों से लाखों पर्यटक आते है। एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर भारत ही नहीं आज विश्व में होली मनाई जाती है। लोग होली पर गिले शिकवे और कड़वाहट भूल लोग गले से गले मिलते हैं। मगर भारत में कई शिक्षण संस्थान ऐसे है जो रंगों के त्योहार होली को अश्लील और हुडदंग वाला बता कर प्रतिबंधित कर रहे है।

  • जामिया में होली को काफिरों का त्योहार बताया गया
  • BHU ने विरोध के बाद निर्णय वापस लिया
  • ABVP ने सनातन संस्कृति का अपमान बताया

सबसे पहले दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में पिछले दिनों कट्टरपंथी छात्रों ने होली के विरोध में अल्लाह हू और नारा-ए-तकबीर के भड़काऊ नारे लगाए। कट्टरपंथियों द्वारा यह भी लिखा गया कि काफिरों के त्योहार को मनाने की जरूरत नहीं है। बाद में जामिया प्रशासन ने इसका संज्ञान लिया। इसी तरह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में भी होली खेलने पर रोक लगी थी। छात्रों के विरोध के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन को अपना आदेश वापस लेना पड़ा।

डीयू में प्रतिबंध

अब दिल्ली विश्वविद्यालय में होली खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। विश्वविद्यालय के नार्थ कैंपस में पोस्टर लगाए गए है। इसमें लिखा है कि छात्र गीले रंग, पानी के गुब्बारे और पिचकारी से होली नहीं खेल सकते। अगर वे ऐसा करेंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। छात्र संगठनों ने नाराजगी जताते हुए इसे सनातन संस्कृति का अपमान बताया है।

ABVP ने जताया विरोध

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने देश के अलग-अलग शैक्षणिक संस्थानों में होली को हुड़दंग जैसे नकारात्मक शब्दों के साथ जबरन जोड़ परिसर में होली न मनाने संबंधी जारी किए गए दिशानिर्देशों को तत्काल वापस लेने की मांग की।

ABVP के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि,” इस प्रकार के गैर ज़रूरी दिशानिर्देश होली की उमंग तथा त्योहार से जुड़े महत्वपूर्ण संदेशों के प्रसार के स्थान पर इसे ग़लत परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करते हैं। सभी शैक्षणिक संस्थान इस तरह के दिशानिर्देशों को तत्काल वापस लें तथा अनावश्यक टिप्पणियां करने से बाज आएं। शैक्षणिक संस्थानों को सांस्कृतिक विषयों पर इस तरह की हिंदूफोबिक टिप्पणी नहीं करनी चाहिए और पक्षपातपूर्ण रूख बदलना चाहिए।”

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