India News (इंडिया न्यूज़), Education Loan vs Personal Loan, नई दिल्ली: दिनो-दिन महंगी होती जा रही शिक्षा के लिए अब एजुकेशन लोन एक आसान विकल्प है। अभिभावक अगर आर्थिक तौर पर सक्षम न हों तो एजुकेशन लोन लेकर बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जा सकती है। लेकिन कुछ अभिभावक बच्चों की उच्च-शिक्षा के लिए पर्सनल लोन ले लेते हैं। आइए आपको बताते हैं कि बच्चों की हायर स्टडी के लिए अभिभावक का खुद पर्सनल लोन लेना या एजुकेशन लोन लेने में से कौन सा बेहतर विकल्प है।
एजुकेशन लोन 50 हजार रुपये से लेकर 1.5 करोड़ रुपये तक मिल जाता है। एजुकेशन लोन का फंड शैक्षणिक संस्थान की रैंकिंग, फीस और पाठ्यक्रम से संबंधित लागतों के बारे में पता करने के बाद ही अप्रूव किया जाता है। इनमें हॉस्टल फीस, बुक प्राइस, उपकरण, लैपटॉप आदि की लागतें शामिल हैं।
वहीं पर्सनल लोन की राशि ग्राहक की आय और लौटाने की क्षमता के आधार पर ही निर्धारित की जाती है। बैंक/वित्तीय संस्थान अधिकतम 40 लाख रुपये तक का पर्सनल लोन दे सकते हैं। इस लोन का उपयोग किसी भी व्यक्तिगत जरूरत को पूरा करने के लिए किया जा सकता है।
एजुकेशन लोन की तुलना में पर्सनल लोन की ब्याज दरें ज्यादा होती हैं। फिलहाल एजुकेशन लोन की ब्याज दर 8.50% से लेकर 15% सालाना तक है।
पर्सनल लोन की ब्याज दरें 10.50% सालाना से लेकर 20% से ऊपर तक जाती हैं। अगर ग्राहक शिक्षा-संबंधी खर्च के लिए पर्सनल लोन लेते हैं, तो इसपर अधिक ब्याज देना पड़ सकता है।
4 लाख रुपये तक के एजुकेशन लोन के लिए भारत में किसी गारंटर की जरूरत नहीं होती है। हालांकि इससे अधिक राशि के एजुकेशन लोन पर कमाने वाले माता-पिता या अभिभावक सह-आवेदक होते हैं। इसके लिए प्रॉपर्टी, बैंक डिपॉजिट, म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस पॉलिसी को सिक्योरिटी के तौर पर जमा करना होता है। दूसरी तरफ, पर्सनल लोन में कोई मार्जिन मनी नहीं होती है।
एजुकेशन लोन भुगतान के लिए अधिकतम 15 साल का समय दिया जाता है। लंबी अवधि के कारण EMI की रकम कम बनती है, और छात्रों को चुकाने में आसानी होती है। जबकि पर्सनल लोन के लिए अधिकतम 7 साल ही मिलते हैं।
एजुकेशन लोन छात्र के नाम पर मिलता है। इसे चुकाने की जिम्मेदारी भी छात्र की होती है। इसलिए कोर्स के दौरान और कोर्स पूरा होने के एक साल बाद तक लोन नहीं चुकाने की मोहलत मिलती है। इसे मोरेटोरियम पीरियड (Moratorium Period) कहा जाता है। EMI भी कोर्स पूरा होने के एक साल बाद से ही शुरू की जाती है। इसके अलावा मेडिकल इमरजेंसी, बेरोजगारी और इन्क्यूबेशन पीरियड, या फिर अगर कोई छात्र अपना स्टार्टअप शुरू करता है, तो मोरेटोरियम पीरियड को आगे बढ़ाया जा सकता है।
जबकि पर्सनल लोन की राशि मिलते ही अगले महीने से भुगतान शुरू करना पड़ता है। इसलिए अगर अभिभावक बच्चों की शिक्षा के लिए पर्सनल लोन लेते हैं, तो उन्हें लोन लेने के साथ ही इसे चुकाना होगा।
पर्सनल लोन पर कोई टैक्स छूट की सुविधा नहीं है। जबकि एजुकेशन लोन पर छात्र टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं। छात्र आयकर अधिनियम की धारा 80E के तहत लोन चुकाने के शुरुआती 8 साल तक ब्याज दर पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है।
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