इंडिया न्यूज, नागौर
No Shortage Of Teachers : शिक्षण संस्थानों में अब शिक्षकों की नहीं रहेगी कमी। इस समस्या के समाधान के लिए स्कूलों में सेवानिवृत शिक्षकों को लगाए जाने की कवायद तेज कर दी गई है। स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से विद्या संबल योजना के तहत राजकीय विद्यालयों में रिक्त पदों पर सेवानिवृत शिक्षकों को गेस्ट फैकल्टी के रूप में नियुक्त किया जाएगा।
शिक्षा विभाग के अनुसार जिले के सरकारी विद्यालयोंं में शिक्षकों को यथा व्याख्याता, वरिष्ठ अध्यापक, अध्यापक, प्रयोगशाला सहायक के रिक्त पदों पर सेवानिवृत शिक्षकों को संविदा पर गेस्ट फैकल्टी के रूप में नियुक्त किया जाएगा। इस योजना के तहत कक्षा 1 से 12 तक के छात्र लाभान्वित होंगे। उन्होंने बताया कि रिक्त पदों की सूचना 21 फरवरी को सीडीईओ कार्यालय में चस्पा की जाएगी।
26 फरवरी तक कर सकेंगे आवेदन (No Shortage Of Teachers)
संस्थापन प्रभारी राधेश्याम रांकावत ने बताया कि मुख्यमंत्री बजट घोषणा के अनुसार विद्या संबल योजना के तहत गेस्ट फैकल्टी को संविदा पर नितांत अस्थाई तौर पर सत्रांत अथवा मूल पद भरने के लिए लगाया जाएगा। इसके लिए 65 वर्ष से कम आयु के सेवानिवृत कार्मिक ही पात्र होगें। वही महात्मा गांधी विद्यालयों के रिक्त पदों पर महात्मा गांधी विद्यालय के निर्धारित मानदण्ड की योग्यता रखने वाले सेवानिवृत शिक्षक ही आवेदन कर सकेगें। पात्र सेवानिवृत शिक्षक 26 फरवरी तक संबंधित विद्यालय में आवेदन कर सकेगें।
प्रति घंटे के हिसाब से मिलेगा मानदेय
संस्थापन प्रभारी रांकावत ने बताया कि सेवा नियमों अनुसार योग्यता व पात्रता रखने वाले सेवानिवृत कर्मचारियों का मानदेय प्रति घंटा के हिसाब से दिया जाएगा। कक्षा 1 से 8 हेतु गेस्ट फैकल्टी के लिए 300 रुपए प्रति घण्टा अधिकतम 21000 रुपए मासिक, कक्षा 9 से 10 हेतु गैस्ट फैकल्टी के लिए 350 रुपए प्रति घण्टा अधिकतम 25000 रुपए मासिक एवं कक्षा 11 से 12 के लिए 400 रुपए प्रति घण्टा एवं अधिकतम 30000 रुपये मासिक मानदेय दिया जाएगा।
क्या हैं इनका कहना ? ( No Shortage Of Teachers )
शिक्षा विभाग के राजकीय स्कूलों में चल रहे पदों पर अवकाश प्राप्त शिक्षकों को गेस्ट फेकल्टी के तौर पर लगाया जाएगा। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से तैयारियां तेज कर दी गई है। शिक्षकों के लगने से विद्यालय में रिक्त पदों के भरने के साथ ही विद्यार्थियों को भी इसका बेहतर फायदा मिलेगा। जिससे शिक्षा संस्थानों की स्थिति सुधरेगी और विद्यार्थियों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिल सकेगा।
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