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Syllabus has Changed : अंग्रेजी लिटरेचर के विद्यार्थी पढ़ेंगे हिंदी साहित्य

Sameer Saini • LAST UPDATED : October 2, 2021, 8:30 am IST

इंडिया न्यूज, मेरठ:

Syllabus has Changed : अब अंग्रेजी लिटरेचर से एमए करने वाले विद्यार्थी हिंदी साहित्य भी पढ़ पाएंगे। यह लिटरेचर उन्हें अंग्रेजी में मिलेगा। दरअसल मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में हिंदी साहित्यकारों को अंग्रेजी के पाठ्यक्रम में शामिल करने का अनोखा प्रयास हुआ है। इस यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी के विद्यार्थी अब कबीर से लेकर कालिदास तक और रवींद्रनाथ टैगोर से लेकर भरत मुनि तक को पढ़ेंगे।

अंग्रेजी विभाग के एचओडी डॉक्टर विकास शर्मा ने बताया कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने एमए अंग्रेजी का पाठ्यक्रम बदल दिया है। पाठ्यक्रम में अब हिंदी, संस्कृत, मराठी और बांग्ला के कई साहित्यकारों को शामिल किया गया है। एमए अंग्रेजी प्रथम सेमेस्टर के छात्र महाकवि कालिदास का नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन अज्ञेय का उपन्यास शेखर एक जीवनी अंग्रेजी में पढ़ सकेंगे। रवींद्रनाथ टैगोर की गीतांजलि, कबीरदास के दोहे भी पाठ्यक्रम में शामिल किए गए हैं। अंग्रेजी में अनुदित इन रचनाकारों के साहित्य को बोर्ड आॅफ स्टडीज से स्वीकृत कराने के बाद कुलपति की भी सहमति ले ली गई है। अब इसी सत्र से एमए के पाठ्यक्रम में इन्हें शामिल कर लिया गया है।

हिंदी के ज्ञानकोष से अंग्रेजी होगी समृद्ध (Syllabus has Changed)

डॉ. विकास शर्मा का कहना है कि इससे हिंदी साहित्य का तो विस्तार होगा ही अंग्रेजी साहित्य के विद्यार्थी भी अन्य भाषाओं के साहित्य से परिचित हो सकेंगे। आमतौर पर अंग्रेजी के ज्ञाता ही ग्लोबल हुए हैं। पर हिंदी साहित्य की सामग्री भी विपुल है। इस ज्ञानकोष से अंग्रेजी के विद्यार्थी क्यों महरूम रहें?

अमृता प्रीतम भी होंगी कोर्स में (Syllabus has Changed)

उन्होंने बताया कि जवाहरलाल नेहरू की डिस्कवरी आॅफ इंडिया और विजय तेंदुलकर के नाटक भी कोर्स में शामिल किए गए हैं। एमए अंग्रेजी के पेपर में दो वैकल्पिक प्रश्न पत्र रखे गए हैं, जिनमें आॅस्ट्रेलियन लिटरेचर एंड थियेटर को भी छात्र-छात्राएं कैंपस में पढ़ सकेंगे। एमए अंग्रेजी के पाठ्यक्रम में खुशवंत सिंह के उपन्यास दिल्ली को भी सम्मिलित किया गया है। इसके साथ ही अमृता प्रीतम की आत्मकथा रसीदी टिकट भी अंग्रेजी के पाठ्यक्रम में शामिल कर ली गई है। पाठ्यक्रम में भरतमुनि के नाट्य शास्त्र से रस सिद्धांत को भी लिया गया है। इस पहल से छात्र छात्राएं बेहद उत्साहित हैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि इस पहल से हमारा हिंदी साहित्य भी ग्लोबल हो सकेगा।

(Syllabus has Changed)

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