India News(इंडिया न्यूज), Independence Day 2024: इस साल भारत 15 अगस्त को अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। पूरे देश में बहुत जोश और उत्साह के साथ इस दिन को मनाया जा रहा है। इस दिन हम अपने देश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं। लोग भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम और सेमिनार भी आयोजित करते हैं। आज के ही दिन हम सभी भारतीयों को ब्रिटिश उपनिवेशवाद के चंगुल से मुक्त होकर एक नई शुरुआत को याद दिलाता है। जिसके लिए हजारों लोगों ने फांसी के फंदे को चूमा और अंग्रेजों की क्रूरता का सामना किया।

हम सभी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं। 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहराते हैं। जबकि गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर तिरंगा फहराया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दोनों मौकों पर तिरंगा फहराने में अंतर होता है? आइए जानते हैं इनके बीच का अंतर।

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ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में अंतर

15 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तिरंगा फहराया जाता है। जबकि 26 जनवरी को इसे फहराया जाता है। दोनों में एक बुनियादी अंतर है। ध्वजारोहण में राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगा एक डंडे के निचले सिरे पर बंधा रहता है। प्रधानमंत्री एक डोरी को खींचकर उसे ऊपर की तरफ उठाते हैं और फिर उसे फहराया जाता है। इसको ध्वजारोहण कहा जाता हैं।

जबकि गणतंत्र दिवस के अवसर पर तिरंगा पहले से ही डंडे के सबसे ऊपर बंधा होता है। जब राष्ट्रपति डोरी खींचते हैं, तो वह फहराने लगता है। इसे अंग्रेजी में फ्लैग अनफर्लिंग कहते हैं। इससे यह भी पता चलता है कि स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ध्वज फहराते हैं, जबकि गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति तिरंगा फहराते हैं।

प्रधानमंत्री झंडा क्यों फहराते हैं?

जब 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ, तब भारत का कोई आधिकारिक राष्ट्रपति नहीं था। उस समय लॉर्ड माउंटबेटन भारत के गवर्नर थे और जवाहरलाल नेहरू को भारत का अंतरिम प्रधानमंत्री चुना गया था।

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