India News (इंडिया न्यूज), Sunil Dutt: सुनील दत्त उन सितारों में से है जिन्होंने 1950 और 1960 के दशक में अपने आप को सुपरस्टार बनाया। उन्होंने कई फिल्मों में काम किया जिसके बाद उनकी फैन फॉलोइंग देखने वाली थी। वह अपने हर फिल्म में अलग किरदार को निभाते नजर आती थी। उन्होंने मदर इंडिया, साधना, इंसान जाग उठा, सुजाता, मुझे जाने दो, पड़ोसन जैसी कई हिट फिल्में दी है। इसके अलावा वह राजनीति में भी कमाल के थे। उन्होंने अपने राजनीति को भी काफी अच्छा विकसित किया। जिसे अब उनकी बेटी प्रिया दत्त संभाल रही है। ऐसे में उनकी 95वें जयंती पर जानते हैं कुछ ऐसी बातें जो शायद कोई नहीं जानता।
- सुनील का है 95वां जन्मदिन
- इस वजह से कर्ज में डूबें एक्टर
- बस में करना पड़ा सफर
एक फैसले ने बदल दी जिंदगी
एक्टिंग करियर की बात करें तो सुनील दत्त ने करीब 50 फिल्मों में काम किया और उनका करियर काफी बेहतरीन था। उन्होंने फिल्म प्रोड्यूसर में भी अपना हाथ आजमाया और काफी नाम कमाया इस काम के चलते उनकी आर्थिक स्थिति भी काफी बिगड़ चुकी थी लेकिन फिल्म प्रोड्यूसर का काम उनके लिए नहीं था। दरअसल सुनील दत्त फिल्म रेशमा और शेरा से प्रोडक्शन की दुनिया में आए थे। जिसमें वह खुद एक लीड एक्टर थे। फिल्म को सुखदेव द्वारा डायरेक्ट किया गया था लेकिन सुनील दत्त को सुखदेव का डायरेक्शन पसंद नहीं आया। इसके बाद उन्होंने फिल्म को खुद से डायरेक्ट करने का फैसला किया। सुखदेव के डायरेक्शन में जो फिल्म शूट हुई थी उसे छोड़ते हुए सुनील दत्त ने एक नई शूटिंग को शुरू किया इस फिल्म के लिए उन्हें काफी कर्ज उठाना पड़ा था। Sunil Dutt
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लगा बड़ा झटका
सुनील दत्त काफी कर्ज में डूब गए थे और उनकी फिल्म भी फ्लॉप हो गई थी। ऐसे में उन्हें झटका लगा कि कर्ज देने वाले लोग घर भी पैसे मांगने आ गए। अपनी पुरानी इंटरव्यू में इस बारे में बात करते हुए सुनील दत्त ने बताया, “मैं उसे वक्त दिवालिया हो गया था। मुझे अपनी कार बेचनी पड़ी और मैं बस में सफर करता था। मैंने बस अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए एक कार रखी थी। मेरा घर भी गिरवी था। काफी मेहनत के बाद सुनील दत्त इस मुश्किल की स्थिति से वापस निकले उस दौरान उनकी साथ पत्नी नरगिस और बच्चें ही थे”
कई फिल्मों में आजमाया हाथ Sunil Dutt
बता दे कि सुनील दत्त का जीवन बचपन से ही आसान नहीं रहा। उन्होंने बचपन के दिनों में ही काफी उतार-चढ़ाव को देखा। 5 साल की उम्र में उनके पिता चले गए थे जैसे तैसे उन्होंने अपनी पढ़ाई को पूरा किया। जय हिंद कॉलेज मुंबई से उन्होंने अपनी हायर एजुकेशन को कंप्लीट किया। पढ़ाई के बाद पेट पालने के लिए वह काम की तलाश में निकल गए। इस तलाश के अंदर उन्होंने बस कंडक्टर की नौकरी पकड़ी कुछ दिनों तक काम करने के बाद उन्हें रेडियो जॉकी का काम मिल गया कई सालों तक इसी पद पर काम करते हुए उन्होंने फिल्म में भी अपना हाथ आसमां। साल 1955 में उन्हें अपनी पहली फिल्म रेलवे प्लेटफार्म मिली जिस शुरुआत के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।