India News (इंडिया न्यूज़),Happy Birthday Vivek Oberoi , दिल्ली: विवेक ओबेरॉय को इस फिल्म इंडस्ट्री में 20 साल हो गए हैं। आज यानी 3 सितम्बर को उनका 47वां जन्मदिन हैं। बता दे की विवेक अब तक अपने एक्टिंग करियर में करीब 25 हिंदी फिल्मों में काम कर चुके हैं, लेकिन बहोत कम फिल्मो में ही उन्होनें सकसैस का स्वाद चखा हैं। अपने 20 साल के करियर में विवेक ने गिनती की कुछ ही हिट फिल्में दी हैं। जैसे- 2004 में आई मस्ती और 2013 में आई इसी फिल्म की सीक्वल- ग्रैंड मस्ती। इसके अलावा ओमकारा, शूटआउट एट लोखंडवाला, और वेब सीरीज इनसाइड एज में भी उनकी परफॉर्मेंस काफी पसंद की गई।
बर्थडे पर विवेक से जुड़े कुछ अनसुने किस्से..
विवेक ओबेरॉय ने साल 2002 में 26 साल की उम्र में राम गोपाल वर्मा की फिल्म कंपनी से अपनी फिल्म करियर कि शुरुआत की थी। इस फिल्म में विवेक ने गैंगस्टर चंदू का किरदार निभाया था। फिल्म में उनके किरदार को काफी पसंद भी किया गया था। और उन्हें बेस्ट डेब्यू मेल और बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था। बता दे की विवेक के पिता और एक्टर सुरेश ओबेरॉय उन्हें डायरेक्टर अब्बास मस्तान के प्रोजेक्ट से लॉन्च करना चाहते थे।
18 साल की उम्र में हुआ था लाखों का नुकसान
एक इंटरवीयु में विवेक ओबेरॉय ने बताया कि उन्होंने बिजनेस करना कैसे और कब शुरू किया। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि 18 साल की उम्र में उन्होंने स्टॉक मार्केट में इंवेस्ट किया था। लेकिन उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ा और उनके 32 लाख रुपए डूब गए। हालांकि, उन्होंने इस नुकसान के बाद भी हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत के बाद 20 की उम्र में उन्होंने डबल रिकवरी करके दिखाई।
इंग्लिश टू हिंदी डबिंग से कमाए थी पहली कमाई
विवेक ओबेरॉय ने बताया की कैसे उन्होनें अपनी आवाज में रेडियो के एड्स और जिंगल्स के जरिए कुछ पैसे कमाए। साथ ही UTV मीडिया ग्रुप के संस्थापक रॉनी स्क्रूवाला के कहने पर इंग्लिश शोज की हिंदी डबिंग भी की। विवेक ने बताया कि उन्होंने जुरासिक पार्क, द इंडिपेंडेंस डे, स्पाइडरमैन और द रॉक जैसी इंग्लिश फिल्मों की डबिंग से महीने भर में 40-50 हजार रुपए तक की कमाई कर ली थी।
किन लोगो से सीखे बिजनेस के बेसिक्स ?
बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि वे स्कूल के बाहर लगे वडा-पाव और चाय के ठेले वाले से इकोनॉमिक्स के कॉन्सेप्ट्स समझते थे। उन्होंने कैश फ्लो का मैनेजमेंट, स्टॉक इकट्ठा करने जैसी बेसिक चीजें इन्हीं लोगों से सीखीं थी। इसके बाद उन्होंने अपने आस-पास के ठेले वालों का बिजनेस मॉडल समझने के बाद उन्हें पैसों से मदद करना शुरू कर दिया और उसमें प्रॉफिट शेयर भी करने लगे।
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