India News (इंडिया न्यूज़), 72 Hoorain Review, दिल्ली: 72 हूरें फिल्म जब से बड़े पर्दे पर आने की बात हुई है तब से ही फिल्म को लेकर कोई ना कोई खबर सामने आती रहती है। फिल्म के अदंर धर्म, दोस्ती, गुस्सा और पागलपन को दिखाया गया है। फिल्म में दिखाया गया है, धर्म के नाम पर लोगों को बहकाना और उन्हें 72 हूरें, जन्नत जैसे सुनहरें सपने दिखाते हुए टेररिज्म के जाल में फंसाना और फिर जाल में फंसाकर भारत पर आतंकवादी हमले करवाना। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्देशक संजय पूरन सिंह चौहान की फिल्म ’72 हूरें’ कुछ समाजकंटकों के बहकावें में आकर धर्म के नाम पर अधर्म करने वालों को आईना दिखाने का काम करती है बनाया हैं।

क्या है फिल्म की कहानी

फिल्म की कहानी के अदंर हाकिम यानी की पवन मल्होत्रा और साकिब यानी की आमिर बशीर को दिखाया गया है। फिल्म की शुरुआत होती हैं अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के हाथ पर लटकने वाले हाकिम से, एक मौलाना की बातों में आकर ये दो अधेड़ उम्र के बंदे जन्नत और 72 हूरों के लालच में आकर पाकिस्तान से भारत आ जाते हैं। एक तरफ धर्म और जिहाद की बातें करने वाले हाकिम की घिनौनी नजर इस बात की हकीकत बयां करती हैं कि न तो उनके इरादें पाक है न ही उनकी नियत। मुंबई के गेट वे ऑफ इंडिया पर अल्लाह का नाम लेकर ये दोनों आत्मघाती हमलावर यानी की सुसाइड बॉम्बर बम का विस्फोट कराते हैं।

वहीं फिल्म की कहानी मरने के बाद शुरू होता है, हाकिम और साकिब का 72 हूरों को पाने का सफर क्या उनकी रूह जन्नत तक पहुंच पाती हैं, क्या उन्हें 72 हूरें मिलती हैं, क्या मौलवी के प्रवचन के अनुसार इन आतंकियों को लेने के लिए अल्लाह के फरिश्ते आते हैं, ये जानने के लिए आपको थिएटर में ‘72 हूरें’ देखनी होगी।

 

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