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What is the Raga Puriya Dhanashree लता ताई ने राग 'पूरिया धनश्री' से की थी संगीत साधना की शुरुआत

Sameer Saini • LAST UPDATED : January 22, 2022, 5:01 pm IST

What is the Raga Puriya Dhanashree

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :

What is the Raga Puriya Dhanashree ये तो हम सभी जानते हैं कि दुनिया भर में मशहूर गायिका लता मंगेशकर को ‘सुर साम्रज्ञी’ और ‘सुरों की मल्लिका’ कहा जाता है। लेकिन, क्या जानते हैं कि इस महान गायिका ने अपनी संगीत साधना की शुरूआत किस राग से की थी। आइए आज हम आपको इस लेख के जरिए बताएंगे कि लता मंगेशकर कौन से राग से अपने सुरों की या कहें गाने की शुरुआत करती थीं।

बॉलीवुड में सबसे ज्यादा गाना गाने का रिकॉर्ड लता मंगेशकर के नाम पर है। ‘नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा, मेरी आवाज ही पहचान है’। हां, कानों में मिश्री घोलती आवाज ही तो लता मंगेशकर की पहचान है। आपको बता दें कि लता मंगेशकर ने ‘पूरिया धनश्री’ राग से अपनी संगीत साधना शुरू की थी। उस समय लता मंगेशकर की उम्र महज छह साल थी। उन्होंने ये राग अपने पिता और जाने-माने संगीतकार-नाट्यकार और गायक पंडित दीनानाथ मंगेशकर से सीखा था। (Lata Mangeshkar latest News)

क्यों है ‘पूरिया धनश्री’ सबसे कठिन राग 

What is the Raga Puriya Dhanashree

आम तौर पर शास्त्रीय गायन की शिक्षा की शुरुआत ‘राग भैरव’, ‘राग यमन’ या ‘राग भूपाली’ से की जाती है। इन रागों की अपेक्षा ‘राग पूरिया धनश्री’ काफी कठिन राग है, लेकिन लता जी की शिक्षा इसी कठिन राग से शुरू हुई थी। फिल्म लेखन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कृति यतींद्र मिश्र ने अपनी किताब ‘स्वर्ण कमल’ में बताया कि लता मंगेशकर ने 1978 में रिलीज हुई फिल्म ‘बदलते रिश्ते’ के लिए ‘राग पूरिया धनश्री’ पर एक गाना गाया था। गाने के बोल थे, ‘मेरी सांसों को जो महका रही है’। इस गाने में उनका साथ महेंद्र कपूर साहब ने दिया था। (Which is the famous Raga)

कहते हैं कि इस गाने के अलावा और भी कई फिल्मी गाने हैं जो ‘राग पूरिया धनश्री’ पर कंपोज किए गए हैं। इसमें कई गाने 90 के दशक में आई फिल्मों में भी तैयार किए गए। 1952 में आई फिल्म बैजू बावरा में भी ‘राग पूरिया धनश्री’ पर एक गाना कंपोज किया गया था। संगीत निर्देशक नौशाद की ओर से तैयार की गई इस कंपोजीशन ‘तोरी जय जयकार’ को उस्ताद अमीर खान साहब ने गाया था। (Which is the Difficult Raga)

क्या है ‘राग पूरिया धनश्री’ में खासियत (Specialties of Raag Puriya Dhanashree)

Specialties of Raag Puriya Dhanashree
  • कहते हैं इस राग की उत्पत्ति पूर्वी थाट से हुई है। इस राग में ‘रे’ और ‘ध’ कोमल और तीव्र ‘म’ लगते हैं। बाकि के सभी स्वर शुद्ध लगते हैं।
  • इसके आरोह अवरोह में सात-सात स्वर लगते हैं। इसलिए ‘राग पूरिया धनश्री’ की जाति संपूर्ण होती है।
  • इस राग का वादी स्वर ‘प’ और संवादी ‘रे’ है। किसी राग में वादी-संवादी स्वर का महत्व शतरंज के बादशाह और वजीर की तरह होता है।

इस राग को गाने बजाने का समय शाम का होता है।

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