इंडिया न्यूज : (Special coincidence being made on colourful Ekadashi) सनातन धर्म में रंगभरी एकादशी का अपना एक अलग महत्व है। रंगभरी एकादशी होलिका दहन के कुछ दिनों पूर्व मनाई जाती है वहीं इसका खास उत्सव महादेव की नगरी काशी में देखने को मिलता है। दरअसल मान्यता है कि इस दिन मां पार्वती अपने गौने आईं थी। पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष ये पर्व फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस साल यह त्यौहार 3 मार्च को मनाया जाएगा।
रंगभरी एकादशी का पर्व फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इसे आमलकी एकादशी, आंवला एकादशी के नाम से भी जानते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि रंगभरी एकादशी के दिन पहली बार भगवान शिव और माता पार्वती काशी आए थे।
इसी कारण यह पर्व वाराणसी में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन शिव जी और माता पार्वती को गुलाल लगाई जाती है। वहीं बताया गया है कि इसी दिन विश्वनाथ जी के साथ माता पार्वती का गौना कराया जाता है।
रंगभरी एकादशी इस साल 3 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन काशी में शिव जी को दूल्हे की तरह सजाया जाता है,इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता है। वहीं उनकी झाकी को शहर भर में घुमाया जाता है। शुभ मुहूर्त की बात करें तो उदया तिथि के हिसाब से रंगभरी एकादशी 3 मार्च 2023 को है।
झांकी को शहर भर में घुमाने के बाद विश्वनाथ जी के साथ माता पार्वती का गौना कराया जाता है। इसलिए इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करने के साथ अबीर-गुलाल चढ़ाना चाहिए। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
जानकारी हो कि काशी में इसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इस दिन काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा देखने को मिलता है। मंदिर परिसर में गुलाल से होली खेली जाती है।
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