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Ahoi Ashtami 2021 Bete ki Lambi Umar ke Liye Vrat संतान की लंबी उम्र के लिए करें अहोई अष्टमी का व्रत

Sunita • LAST UPDATED : October 25, 2021, 2:40 pm IST

Ahoi Ashtami 2021 bete ki lambi umar ke liye vrat: अहोई अष्टमी का हिन्दू धर्म मे काफी महत्व है। अहोई अष्टमी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाने वाला त्योहार है। इसलिए इस दिन को कार्तिक कृष्ण अष्टमी के नाम से भी जानते है। यह त्योहार ज्यादातर उत्तर भारत में मनाया जाता है और करवा चौथ के लगभग 4 दिन बाद और दीवली से 8 दिन पहले आता है।

इस साल यह त्योहार 28 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन का महत्व इसलिए भी है क्योकि इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाए अपने पुत्रो की लम्बी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती है और शाम के समय तारो को चावल एवं जल अर्पण कर अपना व्रत खोलती है।

अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami 2021 bete ki lambi umar ke liye vrat)

अहोई अष्टमी का व्रत करने वाली महिलाएं इस दिन प्रात:काल उठकर एक कोरे करवे (मिट्टी का बर्तन) में पानी भर कर माता अहोई की पूजा करती है। पूरे दिन बिना व्रत रखा जाता है और शाम को माता को फलों का भोग लगाकर फिर से पूजन किया जाता है। यह पूजन सायंकाल में तारे दिखाई देने के बाद किया जाता है। तारों को करवे से अर्ध्य दिया जाता है और गेरूवे रंग से दीवार पर अहोई बनाई जाती है। माता को हलवे का भोग लगाकर संतान के हाथ से पानी पीकर व्रत का समापन किया जाता है।

अहोई अष्टमी व्रत कथा (Ahoi Ashtami 2021 bete ki lambi umar ke liye vrat)

प्राचीन काल में दतिया नगर में चंद्रभान नाम का एक साहूकार रहता था। उसकी संतानें अल्प आयु में ही अकाल मृत्यु को प्राप्त होने लगी। बच्चों की अकाल मृत्यु से पति पत्नी दुखी रहने लगे। कोई संतान न होने के कारण वे अपनी संपत्ति का त्याग करके वन की ओर चले गए। बद्रिकाश्रम के समीप बने जल के कुंड के पास उन्होंने अपने प्राणों का त्याग करने के उद्देश्य से अन्न जल का त्याग कर दिया।

इस तरह छह दिन बीत जाते हैं तब सातवें दिन एक आकाशवाणी होती है कि हे साहूकार तुम्हें यह दुख तुम्हारे पूर्व जन्म के पापों के कारण मिल रहे हैं। अत: इन पापों से मुक्ति के लिए तुम्हें कार्तिक कृष्ण अष्टमी के दिन अहोई अष्टमी के दिन व्रत का पालन करके अहोई माता की पूजा अर्चना करना होगी, जिससे प्रसन्न हो अहोई मां तुम्हें संतान की दीर्घ आयु का वरदान देंगी। इस प्रकार पति पत्नी ने अहोई अष्टमी का व्रत किया और अपने पापों की क्षमा मांगी। अहोई मां ने प्रसन्न होकर उन्हें संतान की दीघार्यु का वरदान दिया।

पूजा विधि (Ahoi Ashtami 2021 bete ki lambi umar ke liye vrat)

  • प्रात:काल जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर के पूजा स्थान पर गेरू और चावल से अहोई माता और उनके सात पुत्रों का चित्र बनाएं। आजकल बाजार में अहोई अष्टमी पूजा का पोस्टर भी मिलता है। जिसे लाकर चिपकाया जा सकता है।
  • एक नए मटके में पानी भरकर उस पर हल्दी से स्वस्तिक बनाएं और मटके के ढक्कन पर सिंघाड़े रखें।
  • घर की बुजुर्ग महिलाओं को बुलाकर सभी के साथ मिलकर अहोई माता का ध्यान करें और व्रत कथा पढ़ें। सभी के लिए एक वस्त्र भी रखें।
  • कथा समाप्त होने के बाद कपड़े महिलाओं को भेंट करें।
  • मटके को रखा रहने दें। इस पानी से दीपावली के पूरे घर में पोंछा लगाने से घर में समृद्धि आती है।
  • रात के समय सितारों को जल से अर्घ्य दें और फिर उपवास खोलें।

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