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Ahoi Ashtami 2021 Mahwari Me Kya Vrat Rakh Skte Hen महावारी में नहीं रखना चाहिए अहोई माता का व्रत

Amit Gupta • LAST UPDATED : October 27, 2021, 8:53 am IST

Ahoi Ashtami 2021 Mahwari Me Kya Vrat Rakh Skte Hen महावारी में नहीं रखना चाहिए अहोई माता का व्रत

इस बार अहोई माता का व्रत 28 अक्टूबर को आ रहा है। इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि अगर आपको महावारी आ जाती है तो व्रत नहीं रखना चाहिए। लेकिन आप पूजा कर सकती हैं। जानिए इस लेख के जरिए की आप अहोई माता की पूजा कैसे कर सकती हैं।

अहोई आठे अष्टमी 2021 व्रत कथा

इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू। वे कहते हैं कि किसी भी व्रत की पवित्रता जरूरी होती है। अक्सर पंडित कह देते हैं कि महावारी में व्रत करना चाहिए। लेकिन यह गलत है। अशुद्धि के कारण आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। हम इस पोस्ट में आपको बताएंगे कि भले ही महावारी के कारण आप व्रत नहीं रख रहे हो, फिर अहोई माता की पूजा कैसे करें?

सास-ननद या जेठानी कर सकती हैं पूजा (Ahoi Ashtami 2021 Mahwari Me Kya Vrat Rakh Skte Hen)

जानेमान विद्वान और ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू के अनुसार अगर महावारी के कारण आपका व्रत नहीं हो रहा है तो इससे घबराने की बात नहीं है। घर में सास, ननद या जेठानी या अन्य कोई भी पारिवारिक सदस्य व्रत रख सकता है। आप दूर से माता का स्मरण कर संतान के लिए कामना कर सकती हैं। वैसे ही हमेशा पूर्व दिशा की ओर ही मुंह करके पूजा करनी चाहिए। ऐसे ही अहोई माता के व्रत में भी होता है। आपको पूर्व में मुंह करके पूजा करनी चाहिए। इस बारे में और विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।

ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू के अनुसार इस बार विशेष संयोगों के साथ अहोई अष्टमी व्रत आ रहा है। इसमें सवार्थ सिद्धि, गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि तथा गजकेसरी योग में पड़ रहा है जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद खास और लाभकारी माना जा रहा है।

पूर्व दिशा में करें पूजा (Ahoi Ashtami 2021 Mahwari Me Kya Vrat Rakh Skte Hen)

ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू का कहना है कि पूर्व दिशा सबसे उत्तम दिशा होती है। इस बार विशेष संयोगों के साथ अहोई अष्टमी व्रत आ रहा है। इसमें सवार्थ सिद्धि, गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि तथा गजकेसरी योग में पड़ रहा है जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद खास और लाभकारी माना जा रहा है।

इस दिन व्रत के अतिरिक्त सोना, चांदी, मकान, घरेलू सामान, विद्युत या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, कंप्यूटर या दीर्घ काल में उपयोग की जाने वाली वस्तुएं खरीदने का भी अक्षय तृतीया या धन त्रयोदशी जैसा ही शुभ दिन होगा।

संतान की दीघार्यु जीवन के लिए रखें व्रत (Ahoi Ashtami 2021 Mahwari Me Kya Vrat Rakh Skte Hen)

इस दिन महिलाएं अहोई माता का व्रत रखती हैं और उनका विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं। यह व्रत संतान के खुशहाल और दीघार्यु जीवन के लिए रखा जाता है। इससे संतान के जीवन में संकटों और कष्टों से रक्षा होती है। अहोई अष्टमी का व्रत महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। अपनी संतान की मंगलकामना के लिए वे अष्टमी तिथि के दिन निर्जला व्रत रखती हैं। मुख्यत: शाम के समय में अहोई माता की पूजा अर्चना की जाती है। फिर रात्रि के समय तारों को करवे से अर्ध्य देती हैं और उनकी आरती करती हैं।

क्या है अहोई माता की माला का महत्व

अहोई पूजा में एक अन्य विधान यह भी है कि चांदी की अहोई बनाई जाती है जिसे स्याहु कहते हैं। इस स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध व भात से की जाती है। पूजा चाहे आप जिस विधि से करें लेकिन दोनों में ही पूजा के लिए एक कलश में जल भर कर रख लें। पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुनें और सुनाएं। पूजा के पश्चात अपनी सास के पैर छूएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके पश्चात व्रती अन्न जल ग्रहण करती हैं।

अहोई अष्टमी पर महिलाएं चांदी के मोती की माला भी बनाती हैं, जिसमें अहोई माता का लॉकेट पड़ा होता है।

हर साल इस माला में दो मोती और जोड़ दिए जाते हैं, इसको स्याउ कहा जाता है।

इसके बाद वे संतान के हाथों से जल ग्रहण करके व्रत का समापन करती हैं। पौराणिक मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखने से संतान के कष्टों का निवारण होता है एवं उनके जीवन में सुख-समृद्धि व तरक्की आती है। ऐसा माना जाता है कि जिन माताओं की संतान को शारीरिक कष्ट हो, स्वास्थ्य ठीक न रहता हो या बार-बार बीमार पड़ते हों अथवा किसी भी कारण से माता-पिता को अपनी संतान की ओर से चिंता बनी रहती हो तो माता द्वारा विधि-विधान से अहोई माता की पूजा-अर्चना व व्रत करने से संतान को विशेष लाभ होता है।

अहोई अष्टमी 2021 शुभ मुहूर्त (Ahoi Ashtami 2021 Mahwari Me Kya Vrat Rakh Skte Hen)

कार्तिक मास कृष्ण पक्ष अष्टमी आरंभ- 28 अक्टूबर 2021 दिन बुधवार को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट से

अष्टमी समाप्त-29 अक्टूबर 2021 दिन शुक्रवार को दोपहर 02 बजकर 09 मिनट से

अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त- शाम 05 बजकर 39 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक है। पूजा का समय कुल मिलाकर 01 घंटा 17 मिनट रहेगा।

तारों को देखने का संभावित समय- शाम को 06 बजकर 03 मिनट पर

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