Karwa Chauth 2022: आज पूरे देश में करवा चौथ का त्यौहार मनाया जा रहा है। हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। सुहागिनों के लिए करवा चौथ का बहुत महत्व होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जल व्रत रखती हैं। महिलाएं इस दिन सोलह श्रृंगार कर चांद को अर्घ्य देकर सुहागिनें पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं। वैसे तो करवा चौथ की पूजा में कई सामग्रियां महत्वपूर्ण होती हैं। लेकिन इसमें मिट्टी का करवा सबसे महत्वपूर्ण होता हैं। बिना करवा के करवा चौथ की पूजा अधूरी मानी जाती है।
आपको बता दें कि करवा चौथ की पूजा में प्रयोग किए जाने वाला करवा मिट्टी से बना हुआ होता है। करवा टोंटीदार और नलकी नुमा आकार का होता है। मिट्टी से बने हुए इस करवा को देवी करवा माता का प्रतीक माना जाता है और इसकी पूजा की जाती है। इसी वजह से करवा चौथ पर करवा का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।
बता दें कि करवा चौथ की पूजा में एक नहीं बल्कि दो करवा का बड़ा महत्व होता है। पूजा के समय दो करवा रखे जाते हैं। जिसमें एक करवा को करवा माता का प्रतीक माना जाता है। तो वहीं दूसरा करवा व्रती महिला का होता है। करवा को अच्छे से साफ करके इसमें रक्षासूत्र बांधकर, हल्दी तथा आटे के मिश्रण से स्वास्तिक बनाकर करवा का पूजा में प्रयोग किया जाता है।
करवा की पूजा करने से पहले पीले रंग की मिट्टी से माता गौरी की प्रतिमा बनाई जाती है। साथ ही उनकी गोद में भगवान गणेश को बिठाया जाता हैं। लेकिन आप अगर मिट्टी की प्रतिमा नहीं बना पाएं। तो फिर इसी तरह की प्रतिमा आप बाजार से भी ला सकते हैं। मां गौरी को सुहाग का सामान अर्पित कर उनकी पूजा और आराधना की जाती है। जिसके बाद करवा भरा जाता है। बता दें कि कुछ जगहों पर करवा में अनाज और मेवे आदि भरा जाते हैं। इसके साथ ही करवा पर 13 रोली की बिंदी लगाई जाती हैं। जिसके बाद हाथ में गेहूं या चावल के दाने लेकर करवा चौथ की व्रत कथा सुनी जाती है।
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