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Maa Katyayani Ki Katha in Hindi

Sunita • LAST UPDATED : March 29, 2022, 3:18 pm IST

Maa Katyayani Ki Katha in Hindi: चैत्र नवरात्रि 2022 के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन जो मां की पूजा करते हैं उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी को शत्रु और संकटों से मुक्त करने वाली माना गया है। कहा जाता है कि देवी ने ही असुरों से देवताओं की रक्षा की थी। मां ने महिषासुर का वध किया था और उसके बाद शुम्भ और निशुम्भ का भी वध किया था। सिर्फ यही नहीं, सभी नौ ग्रहों को उनकी कैद से भी छुड़ावाया था।

Maa Katyayani Ki Katha in Hindi

Maa Katyayani Ki Katha

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की आराधना की जाती है। इस दिन जो व्यक्ति मां की उपासना करता है उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही रोग, शोक, संताप और भय सभी नष्ट हो जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार, कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की कठिन तपस्या की थी। उन्हें पुत्री चाहिए थी और तपस्या के फल में उन्हें पुत्री की प्राप्त हुई।

महर्षि कात्यायन के घर जन्मी इस देवी का नाम देवी कात्यायनी हुआ। माना जाता है कि मां की कृपा से सभी काम पूरे हो जाते हैं। इन्हें वैद्यनाथ नामक स्थान पर पूजा जाता है। मां व्यक्ति की हर इच्छा को पूरा करती हैं। ये अमोघ फलदायिनी हैं। ब्रज की गोपियों के साथ कालिंदी यमुना के तट पर इन्होंने पूजा की थी क्योंकि ये भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाना चाहती थीं। इन्हें ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है।

इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। इनकी 4 भुजाएं हैं और ये स्वर्ण के समान चमकीली हैं। मां की 4 भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। बाईं तरफ का ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले में कमल का फूल है। मां का वाहन सिंह है। मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और सच्चे मन के साथ मां कात्यायनी की आराधना और उपासना करता है उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

साथ ही उसके सभी दुखों का नाश होता है। इसी कारण कहा भी जाता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से परम पद की प्राप्ति होती है। मां कात्‍यायनी को पसंदीदा रंग लाल है। माना जाता है कि मां को शहद का भोग लगाने से मां बेहद प्रसन्न हो जाती हैं।

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Maa Katyayani Ki Aarti

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी। जय जगमाता, जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहां वरदाती नाम पुकारा।

कई नाम हैं, कई धाम हैं। यह स्थान भी तो सुखधाम है।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी। कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।

हर जगह उत्सव होते रहते। हर मंदिर में भक्त हैं कहते।

कात्यायनी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली। अपना नाम जपाने वाली।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो। ध्यान कात्यायनी का धरियो।

हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी।

जो भी मां को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे।

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