मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिविद्
हमारे हर धार्मिक पर्व,व्रत या अनुष्ठान के पीछे एक विशिष्ट उददेश्य होता है जिसके पार्श्व में कहीं न कहीं वैज्ञानिक या व्यावहारिक तथ्य छिपा होता है। उदाहरणार्थ श्री सत्यनारायण व्रत के पीछे ऐसा ही विचार निहित है कि प्राणी एक मास में कम से कम एक दिन सत्य बोले या सच बोलने का प्रण ले। इसी प्रकार मोैनी अमावस पर एक दिन चुप रह कर अपनी उर्जा की बचत करे।
आधुनिक युग में मौनी अमावस पर मौन धारण करना और भी सार्थक इसलिए भी हो जाता है क्योंकि आज हमें मोबाइल पर इतनी अधिक बातें करने की आदत पड़ गई है जिससे कानों तथा गले में कई प्रकार की व्याधियां आ गई हैं।
यहां तक कि मस्तिष्क से संबधित कई नई-नई बीमारियां छोटे छोटे बच्चों में आ गई हैं। स्कूल की क्लासें या वर्क फ्रॉम होम के कारण नए कष्ट आ गए हैं। अतः मौनी अमावस एक सार्वजनिक व्रत है जिस दिन हम मौन व्रत रखें। हमारा इतिहास गवाह है कि हमारे बहुत से महापुरुषों ने मौन व्रत रखे।
मौनी अमावस्या मंगलवार, 1 फरवरी, 2022 को है। माघ अमावस्या तिथि 31 जनवरी को दोपहर में 2 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर 1 फरवरी को दिन में 11 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। अत: 1 फरवरी को सुबह में स्नान-ध्यान और पूजा कर लें। माघ महीने में पड़ने वाली अमावस्या को माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान व भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और ग्रह दोष समाप्त हो जाते हैं। मौनी अमावस्या के दिन स्नान, दान व तप के अलावा व्रत कथा का पाठ करने के बाद ही पूर्ण फल मिलता है।
अमावस्या के दिन तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कपड़े, गर्म वस्त्र, कंबल और जूते दान करने का विशेष महत्व है। जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा नीच का होता है, उन्हें इस दिन दूध, चावल, खीर, मिश्री और बताशा दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन मौन धारण करने से विशेष ऊर्जा की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या पर गंगा नदी में स्नान करने से दैहिक (शारीरिक), भौतिक (अनजाने में किया गया पाप), दैविक (ग्रहों, गोचरों का दुर्योग) तीनों प्रकार पापों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-
देवता गंगा में वास करते हैं, जो पापों से मुक्ति देते हैं।
1. मौनी अमावस्या के दिन सुबह स्नान नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
2. इस दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए। गरीब व भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं।
3. अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौ शाला में गाय के लिए भोजन का दान करें।
4. यदि आप अमावस्या के दिन गौ दान, स्वर्ण दान या भूमि दान भी कर सकते हैं।
5. हर अमावस्या की भांति माघ अमावस्या पर भी पितरों को याद करना चाहिए। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Mauni Amavasya 2022 Date And Time
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