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Sakat Chauth 2022 : सकट चतुर्थी की पूजा करते समय भूलकर भी न करें ये 4 गलतियां

Mukta • LAST UPDATED : January 20, 2022, 2:22 pm IST

Sakat Chauth 2022

इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली

माघ मास (माघ मास) में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि सकट चौथ कहलाती है। इसे सकट चतुर्थी और तिलकुट चौथ भी कहा जाता है। यह त्यौहार विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन महिला गणपति जी की पूजा करने के बाद तिल से बना तिलकुट चढ़ाती हैं और अपने बच्चों की लंबी उम्र की कामना करते हुए निर्जल व्रत रखती हैं।

रात में चंद्रमा निकलने के बाद वह चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और उसके बाद जो महिलाएं व्रत नहीं रखती हैं, वे सुबह गणपति की पूजा करती हैं और उन्हें तिलकुट (पैच) का भोग लगाती हैं। इस बार सकट चौथ का व्रत शुक्रवार 21 जनवरी को है। यदि आप भी अपने संतान के सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखने जा रहे हैं तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें।

गणेश चतुर्थी व्रत के दौरान न करें ये गलतियां Sakat Chauth 2022

Sakat Chauth 2022

1. शास्त्रों में गणेश जी को प्रथम उपासक माना गया है और उन्हें शुभता का प्रतीक कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि जहां भगवान गणेश की कृपा होती है, वहां कभी कोई दुर्भाग्य नहीं होता है। इसलिए गणपति की पूजा करते समय पीले या लाल रंग के वस्त्र धारण करें। इन्हें शुभ माना जाता है। काले वस्त्र पहनकर पूजा करने की सोचना भी मत। शास्त्रों में पूजा के समय काले रंग के वस्त्र पहनना वर्जित बताया गया है।

2. गणपति को भूलकर भी तुलसी के पत्ते न चढ़ाएं, अन्यथा आपकी सारी पूजा व्यर्थ हो जाएगी। गणपति तुलसी को कभी स्वीकार नहीं करते। तुलसी केवल भगवान विष्णु और उनके रूपों को अर्पित की जाती है। गणपति को दूर्वा अत्यंत प्रिय हैं। पूजा के दौरान आपको उन्हें 21 दूर्वा गांठें अर्पित करनी चाहिए।

(Sakat Chauth 2022)

Sakat Chauth 2022

3. गणेश चतुर्थी के व्रत में शाम के समय गणपति की पूजा करने के बाद चंद्र दर्शन का विधान है इसलिए चांद दिखने से पहले व्रत तोड़ने की गलती न करें। चंद्रमा को देखते हुए चंद्रमा को अर्ध्य अवश्य दें।

4. चंद्रमा को अर्घ्य देते समय इस बात का ध्यान रखें कि पानी आपके पैरों पर न गिरे इससे बचने के लिए सबसे नीचे बर्तन या बाल्टी रखें। अगले दिन इस पानी को किसी गमले में या पेड़-पौधों में डाल दें। अर्घ्य के लिए पानी में दूध और अक्षत मिलाएं।

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