India News (इंडिया न्यूज), Haryana Assembly Budget Session : हरियाणा विधानसभा में बजट सत्र के दौरान आज चार विधेयक पारित किए गए। इनमें हरियाणा शव का सम्मानजनक निपटान विधेयक, 2025, हरियाणा ट्रैवल एजेंटों का पंजीकरण और विनियमन विधेयक, 2025, हरियाणा सार्वजनिक द्युत रोकथाम विधेयक, 2025 तथा हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी (सेवा की सुनिश्चितता) संशोधन विधेयक, 2025 शामिल हैं। इसके अलावा, हरियाणा बागवानी पौधशाला विधेयक, 2025 तथा अपर्णा संस्था (प्रबंधन एवं नियंत्रण ग्रहण) विधेयक, 2025 पेश भी किए गए।
ट्रैवल एजेंटों की पारदर्शिता, उत्तरदायित्व, अखण्डता सुनिश्चित करने और उनकी अवैध और कपटपूर्ण गतिविधियों की जांच करने और अंकुश लगाने, हरियाणा राज्य के निवासियों के हितों की रक्षा करने के लिए ढांचा स्थापित करने और उससे सम्बन्धित या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए हरियाणा ट्रैवल एजेंटों का पंजीकरण और विनियमन विधेयक, 2025 पारित किया गया।
Haryana Assembly Budget Session
यह देखने में आया है कि हरियाणा के निर्दाेष और बेरोजगार युवाओं को नाजायज तरीकों से बड़े पैमाने पर अवैध प्रवास के जाल में फंसाया जा रहा है। बेईमान और अपंजीकृत ट्रैवल एजेंट ऐसे व्यक्तियों को विदेशों में आसान और त्वरित आप्रवासन का वादा करके धोखा देते हैं। ये एजेंट विदेशों में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से प्रस्ताव पत्र के जरिए वर्क वीजा, वर्क परमिट, स्टडी वीजा की व्यवस्था करने का वादा करते हैं, लेकिन कई मामलों में, वे अपने वादे पूरे करने में विफल रहते हैं। कई मामलों में, ये एजेंट नकली प्रस्ताव पत्र प्रदान करते हैं और कभी-कभी नकली या गैर-मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या कॉलेज भी बनाते हैं। वे अत्यधिक फीस वसूलते हैं और विभिन्न चरणों में बड़ी रकम की मांग करते हैं। कई बार ये एजेंट निर्दाेष व्यक्तियों को अवैध तरीके से विदेश भेज देते हैं और ऐसे लोगों को उन देशों की पुलिस पकड़कर सलाखों के पीछे डाल देती है, इसलिए ऐसे ट्रैवल एजेंटों की अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने की सख्त जरूरत है।
जनता के व्यापक हित में, एक कानून यानी हरियाणा ट्रैवल एजेंटों का पंजीकरण और विनियमन अधिनियम, 2025 जो कि ट्रैवल एजेंटों की गैरकानूनी और धोखाधड़ी वाली गतिविधियों की जांच एवं निगरानी करने, ऐसे लोगों को दंडित करने, कानून के अनुसार गलत काम करने वालों के लिए एक तंत्र की स्थापना करेगा और उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए यह आवश्यक है।
हरियाणा राज्य में शव के बुनियादी मानवाधिकारों को बनाए रखने और शव के सम्मानपूर्वक अंतिम निपटान के लिए और उससे संबंधित और उससे आनुषंगिक मामलों के लिए हरियाणा शव का सम्मानजनक निपटान विधेयक, 2025 पारित किया गया।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित ‘‘जीवन के अधिकार’’ के दायरे में ‘‘मृतकों के अधिकार और सम्मान’’ शामिल हैं। भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मान और उचित व्यवहार का अधिकार न केवल जीवित व्यक्ति को बल्कि उसकी मृत्यु के बाद उसके शरीर को भी प्राप्त है। मृतक के प्रति सम्मान और आदर मानवीय गरिमा की पहचान है। मृत व्यक्ति के अधिकार और सम्मान को ध्यान में रखते हुए किसी भी व्यक्ति को शव का समय पर अंतिम संस्कार न करके किसी भी तरह का विरोध या आंदोलन करके किसी भी मांग को पूरा करने के लिए उकसाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यह सुनिश्चित करना आवश्यक हो गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह के विरोध के लिए शव का उपयोग न करे या न करने दे।
एक कानून अर्थात ‘‘हरियाणा शव का सम्मानजनक विधेयक, 2025 शव के सभ्य और समय पर अंतिम संस्कार के लिए प्रावधान करता है और परिवार के सदस्यों द्वारा शव को अस्वीकार करने और इस तरह अंतिम संस्कार से वंचित करने की स्थिति में, सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा अंतिम संस्कार किया जाता है और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए, यह विधेयक अपेक्षित है।
हरियाणा राज्य में सार्वजनिक द्यूत, सामान्य द्यूत घर चलाने, खेलों और चुनावों में सट्टेबाजी, खेलों में मैच फिक्सिंग या स्पॉट फिक्सिंग की रोकथाम करने , दण्ड देने के लिए और इससे सम्बन्धित या इसके आनुषंगिक मामलों के लिए उपबन्ध करने हेतु हरियाणा सार्वजनिक द्यूत रोकथाम विधेयक, 2025 पारित किया गया।
भारत में द्यूत सार्वजनिक द्यूत अधिनियम, 1867 द्वारा शासित है जो एक पुराना, ब्रिटिश युग का कानून है। भारत के विधि आयोग ने अपनी 249वीं रिपोर्ट में इस कानून को अप्रचलित करार करते हुए इसे निरस्त करने की सिफारिश की है। सभी राज्य सरकारों के पास अपने-अपने कानून बनाने की शक्ति है क्योंकि विषय वस्तु भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य सूची में आती है और कई राज्यों ने समय-समय पर अपने सार्वजनिक द्यूत कानून बनाए हैं।
भारत में अधिकांश द्यूत कानून पुराने हो चुके हैं क्योंकि उन्नत तकनीक के मद्देनजर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग के साथ द्यूत के रूप में बहुत बड़ा बदलाव आया है और सट्टेबाजी करने वाले सिंडिकेट आम जनता के वित्त के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं क्योंकि कानून का अभी तक अद्यतन नहीं किया गया है। द्यूत आयोजित करने में शामिल लोगों के लिए कड़ी सजा शुरू करना जरूरी हो गया है। इसलिए, सट्टेबाजी और द्यूत को विनियमित करने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य पर है।
हरियाणा राज्य में सार्वजनिक द्यूत, साझा जुआघरों का संचालन, खेलों या चुनावों में सट्टा लगाना, खेलों में मैच फिक्सिंग या स्पॉट फिक्सिंग तथा इससे संबंधित या इसके आनुषंगिक या इसी प्रकार की प्रकृति के मामलों की रोकथाम और दण्ड का प्रावधान करने तथा आम जनता को ऐसी किसी गतिविधि द्वारा की गई धोखाधड़ी का शिकार होने से बचाने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एक कानून अर्थात ‘‘हरियाणा सार्वजनिक द्यूत रोकथाम विधेयक, 2025’’ की आवश्यकता है।
हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी (सेवा की सुनिश्चितता) अधिनियम, 2024 को संशोधित करने के लिए हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी (सेवा की सुनिश्चितता) संशोधन विधेयक, 2025 पारित किया गया। हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी (सेवा की सुनिश्चितता) अधिनियम, 2024 के तहत, सेवा की सुरक्षा का लाभ उन संविदात्मक कर्मचारियों को स्वीकार्य है, जिसने नियत तिथि अर्थात 15 अगस्त, 2024 को पूर्णकालिक आधार पर सरकारी संस्था में कम से कम 5 वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो। हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी (सेवा की सुनिश्चितता) अधिनियम, 2024 की धारा 3 (पप) के नीचे व्याख्या 2 में निम्नलिखित प्रावधान किया गया है।
उपरोक्त प्रावधान के अनुसार नियुक्ति के वर्षों की संख्या की गणना के प्रयोजन के लिए, एक संविदात्मक कर्मचारी जिसने कैलेंडर वर्ष में कम से कम 240 दिनों के लिए पारिश्रमिक प्राप्त किया है, उसे पूरे वर्ष कार्य किया गया समझा जाएगा। संविदात्मक कर्मचारियों ने अनुरोध किया कि नियोजन के वर्षों की संख्या की गणना के प्रयोजनों हेतु 240 दिन एक कैलेंडर वर्ष की बजाए संविदात्मक सेवा की एक वर्ष की अवधि के दौरान गिने जाए अन्यथा यदि उनकी कार्यभार ग्रहण करने की तिथि मई से दिसम्बर माह के मध्य है तो उनके कार्यभार ग्रहण करने के प्रथम कैलेंडर वर्ष की सेवा नहीं गिनी जाएगी। इसी प्रकार, चालू वर्ष 2024 के कट-ऑफ तिथि 15 अगस्त,2024 तक 227 दिन हैं, जिसके फलस्वरूप इन वर्षों में उनकी संविदात्मक सेवा 240 दिन नहीं हो सकती है।
संविदारक कर्मचारियों का अनुरोध उचित होने के वजह से इस प्रयोजन हेतु 28 दिसम्बर,2024 को मंत्रिपरिषद की बैठक में यह मामला विचारार्थ रखा गया था कि कैलेण्डर वर्ष में 240 दिन की शर्त को संशोधित कर एक वर्ष की संविदा सेवा अवधि में 240 दिन किया जाए। मंत्रिपरिषद द्वारा प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया गया था।
इस प्रस्ताव को अधिनियम के माध्यम से लाने का प्रस्ताव था, किन्तु इसे विधान सभा के आगामी सत्र तक विलंबित करने से संकट एवं अनिश्चितता बढ़ जाती, जिससे विभिन्न सरकारी कार्यों में व्यवधान उत्पन्न होने की संभावना होती। इसलिए, इस संबंध में अध्यादेश 31 जनवरी,2025 को अधिसूचित किया गया।
हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी (सेवा की सुनिश्चितता) संशोधन अधिनियम, 2025 का उद्देश्य इन कर्मचारियों के बीच संकट और अनिश्चितता को कम करना है।
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