India News (इंडिया न्यूज़), Bahadurgarh Crime: बहादुरगढ़ में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का अजब गजब मामला सामने आया है। जहां जिंदा व्यक्ति को उसके जायज काम के लिए दर बदर भटकाया जाता है। उसी तहसील में 25 साल पहले मरे हुए व्यक्ति ने हाजिर होकर 10 मार्च को किसी दूसरे व्यक्ति के नाम रजिस्ट्री करवा दी। ये भी तब हुआ है जब उसी मरे हुए व्यक्ति की वसीयत का इंतकाल दर्ज करवाने के लिए कोर्ट आदेश के साथ उसका हकीकी ललित मोहन गुप्ता 18 फरवरी को तहसील में प्रार्थना पत्र दे चुका था। कोर्ट ने भी ललित मोहन के पक्ष में डिक्री का आदेश दे रखा था।
- इस तरह की प्रॉपर्टी अपने नाम
- जानिए पूरा मामला
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इस तरह की प्रॉपर्टी अपने नाम
ललित मोहन के प्रार्थना पत्र पर पटवारी ने इंतकाल दर्ज कर तहसीलदार को मंजूरी के लिए दिया था। लेकिन तहसीलदार ने उस इंतकाल को ये कहकर नामंजूर कर दिया कि डिक्री आदेश को तय फीस के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। फिर क्या था उसी का फायदा उठाकर 20 दिन बाद मरे हुए व्यक्ति को जिंदा दिखाकर उसी प्लाट की रजिस्ट्री करवा दी जिसके इंतकाल को अपने नाम कराने के लिए सही वारिश ललित मोहन धक्के खा रहा था। पूर्व नगर पार्षद वजीर राठी ने इस पूरे मामले का खुलासा किया है।
जानिए पूरा मामला
दरअसल ये मामला फ्रैन्डस काॅलोनी गली नम्बर 5 के 190 गज के एक प्लाट का है। ये प्लाट साल 1987 में श्रीराम पुत्र देवतराम ने खरीदा था। 2 सितम्बर को उस प्लाट का इंतकाल श्रीराम के नाम दर्ज भी हो गया था। श्रीराम अविवाहित था और अपने भतीजे प्रेमचन्द के पास रहता था। श्रीराम ने जुलाई 1999 को अपने भतीजे प्रेमचन्द के बेटे ललितमोहन के पक्ष में उस प्लाॅट की वसीयत कर दी। जिसके बाद 9 अक्टूबर 1999 को श्रीराम की मृत्यु हो गई। वसीयत चूंकि रजिस्टर्ड नही थी केवल नोटरी से अटैस्टिड थी इसलिए ललित मोहन ने कोर्ट में याचिका दायर की जिस पर कोर्ट ने ललित मोहन के पक्ष में दिसम्बर 2024 को डिक्री के आदेश दे दिए।
कोर्ट के आदेश के आधार पर तहसीलदार को 190 गज के उसी प्लाट का इंतकाल दर्ज करने के लिए ललित मोहन ने प्रार्थना पत्र तहसीलदार को दिया जिसे तहसीलदार ने 18 फरवरी को पटवारी के नाम मार्क कर दिया था। लेकिन डिक्री को निर्धारित फीस पर रजिस्ट्रेशन करवाने की बात कहकर तहसीलदार ने इंतकाल नामंजूर कर दिया था उसके बाद ही सारा धोखाधड़ी का खेल खेला गया।