India News (इंडिया न्यूज), Haryana News: नूंह जिले में नाबालिग बच्चों को बाल मजदूरी से बचाने के लिए जहां जिला प्रशासन और विभिन्न संगठन हर संभव कदम उठा रहे हैं, वहीं सरकार ने नाबालिग बच्चों से काम करवाने पर सजा का भी प्रावधान किया है। लेकिन जब शिक्षा के मंदिर में पढ़ने वाले नाबालिग छात्र मजदूर बन जाएं तो बच्चों को पढ़ाने वाले अध्यापकों पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। ऐसा ही एक मामला पुन्हाना उपमंडल के गांव बिछौर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से सामने आया है। दरअसल यहाँ पढ़ने वाले छात्रों से स्कूल में खंडहर हो चुके कमरों का मलबा हटवाया जा रहा है। जबकि खंडहर हो चुके कमरों की बोली होने के बाद ठेकेदार को काम सौंप दिया गया है।

जानकारी के अनुसार राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक बिछोर में करीब 1 दर्जन कमरे काफी दिनों से खंडहर अवस्था में थे। जनवरी माह में इन कमरों की बोली लगाई गई थी। इन कमरों को लोक निर्माण विभाग द्वारा करीब साढ़े तीन लाख रुपये में ठेकेदार को छोड़ा गया था। कमरों से निकलने वाले मलबे को भी ठेकेदार अपने साथ लेकर गया। कुछ काम स्कूल में बचा हुआ है। जिसे अब शिक्षक स्कूली छात्रों से करा रहे है। जबकि ये काम ठेकेदार को लेबर से करवाना था, लेकिन यहां मजदूर दिखाई नहीं दे रहे हैं और मजदूरों का काम बच्चों से करवाया जा रहा है।

  • डराकर करवा रहे ये काम
  • आक्रोशित हुए ग्रामीण

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डराकर करवा रहे ये काम

जिन कंधो पर देश के भविष्य की नींव होती है, वहीं शिक्षक बच्चों से किताब छीन कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। यही कारण है जो मेवात में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। हैरानी की बात यह देखने को मिली कि स्कूल में स्वयं प्रिंसिपल अपने हाथ में डंडा लेकर छात्रों से काम करा रहे थे। डंडे के डर से छात्र भी ईंटे उठाते हुए नजर आए। बच्चों से मजदूरों की तरह काम क्यों कराया गया? इसका जवाब तो शिक्षक ही देंगे।

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आक्रोशित हुए ग्रामीण

वहीं ग्रामीणों का कहना है कि इस मामले में ठेकेदार और शिक्षक दोनों पर कार्रवाई होनी चाहिए। नौनिहालों के साथ इस तरह का व्यवहार सही नहीं है। पूरा कार्य स्कूल शिक्षकों की मौजूदगी में किया जा रहा है। अब यह तो शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ही बता सकते हैं कि दोषियों के विरुद्ध क्या कार्रवाई होगी। ग्रामीण बनवारी लाल, मुकेश कुमार, अलीशेर सहित अन्य लोगों ने बताया कि स्कूल का समय सुबह 7 बजे का किया हुआ हैं। समय पर स्कूल में अध्यापक नहीं आते। आगे कुछ शिक्षक समय पर आ भी जाते हैं तो वह स्कूल में खेलते रहते है। इससे पहले भी प्रिंसिपल पर 12वीं कक्षा के एडमिट कार्ड रोकने का आरोप लग चुका है। प्रिंसिपल की तानाशाही से स्कूली छात्र और ग्रामीण पूरी तरह से परेशान है।

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