India News(इंडिया न्यूज), Haryanvi Culture: हरियाणा का पहनावा वो पहनावा है जो केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक में चर्चित है । अक्सर जब विदेशी महिला हरियाणा आती हैं तो यहाँ का पहनावा अपनाती हैं। साथ ही वो ऐसे में अच्छा और खास महसूस करती हैं। क्या आपको पता है कि हरियाणा में क्या पहना जाता है। तो आपकी जानकारी के लिए बता दें, हरियाणा का पारंपरिक पहनावा पुरुषों के लिए धोती, कुर्ता और पगड़ी है तो वहीँ महिलाओं के लिए घाघरा, चोली और चुंदड़ी है। ये पहनावा हरियाणा की शान माना जाता है और वहां की सांस्कृति को दर्शाता है। जैसा की आप सभी जानते हैं कि हरियाणा में पुरुषों का पारंपरिक पहनावा धोती, कुर्ता और पगड़ी है। वहीँ जब वहां के पुरुष इस पहनावे को अपनाते हैं हर किसी की जुबान पर केवल यही शब्द होते हैं “घणा सुथरा लागे”। लेकिन आज के दौर में ज्यादातर लोग वेस्टर्न कल्चर को अपनाते जा रहे हैं और कही न कही हरियाणा का पहनावा लुप्त होता जा रहा है।
- महिलाओं की सुंदरता में लग जाते हैं 4 चाँद
- आभूषण भी देशभर में मशहू
महिलाओं की सुंदरता में लग जाते हैं 4 चाँद
समय के साथ इसका स्वरूप थोड़ा बदल गया है, लेकिन पारंपरिक पोशाक अभी भी जीवित है। हरियाणा की महिलाएँ पारंपरिक रूप से घाघरा, चोली और चूंदड़ी पहनती हैं। यह पोशाक हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है और महिलाओं की सुंदरता और गरिमा को बढ़ाती है। यह पोशाक आज भी कुछ गाँवों में जीवित है। वहीँ आज के दौर में हरियाणा की महिलाएँ सलवार-कुर्ता, साड़ी और जींस जैसे आधुनिक कपड़े पहनने लगी हैं। पारंपरिक पोशाक के साथ-साथ अब वो फैशन के हिसाब से कपड़े पहनती हैं, लेकिन कुछ महिलाएँ अभी भी पारंपरिक पोशाक को प्राथमिकता देती हैं।
आभूषण भी देशभर में मशहू
जहाँ हरियाणा का पहनावा काफी प्रचलित है तो वहीँ दूसरी तरफ हरियाणा के आभूषण भी देशभर में मशहूर है। जब हरियाणा की छोरियां हरियाणा के आभूषण पहन लेती हैं तो उनकी ख़ूबसूरती में चार चाँद लग जाते हैं। हरियाणा की महिलाएं हंसली, हार, चूड़ियां और कंठी जैसे पारंपरिक आभूषण पहनती हैं। पैरों में चूड़ियां, पायल और कड़े पहनने का भी चलन है। ये आभूषण उनकी सांस्कृतिक पहचान और खूबसूरती का हिस्सा माने जाते हैं। समय के साथ हरियाणा के पुरुषों के पहनावे में भी बदलाव आया है। अब वे शर्ट, पैंट और जींस जैसे पश्चिमी कपड़े पहनते हैं। पगड़ी का इस्तेमाल अब कम हो गया है लेकिन कुछ इलाकों में इसे अभी भी पारंपरिक रूप से पहना जाता है।