India News (इंडिया न्यूज), Ramadan 2025 : रमज़ान उल मुबारक इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना है, जो दुनिया भर के मुसलमानों के लिए आध्यात्मिक उन्नति, आत्म-निरीक्षण और समाजिक एकता का प्रतीक है। इस महीने की विशेषताओं और महत्व पर चर्चा करने के लिए, इमाम मजदी जामा मस्जिद झांबा- सनौली में मौलाना मोहम्मद असजद द्वारा रमज़ान से एक दिन पहले एक तक़रीर आयोजित की गई।

Ramadan 2025 : संयम और समाजिक जिम्मेदारियों पर प्रकाश डाला

इस तक़रीर का मुख्य उद्देश्य समुदाय को रमज़ान की आध्यात्मिक और समाजिक महत्ता से अवगत कराना था। मौलाना मोहम्मद असजद साहब ने रमज़ान के महीने में आत्म-निरीक्षण, संयम और समाजिक जिम्मेदारियों पर प्रकाश डाला। मौलाना मोहम्मद असजद साहब ने तक़रीर के अंत में सभी से रमज़ान के महीने में अधिक से अधिक इबादत, समाजिक सेवा और आत्म-निरीक्षण करने की अपील की।

दुआ की कि अल्लाह इस महीने की बरकतों से सभी की ज़िंदगियाँ रोशन करे

उन्होंने दुआ की कि अल्लाह इस महीने की बरकतों से सभी की ज़िंदगियाँ रोशन करे और समाज में शांति और एकता का वातावरण स्थापित हो। इस प्रकार की तक़रीरें समुदाय को धार्मिक शिक्षा और समाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, विशेषकर रमज़ान जैसे पवित्र महीने में।

मुख्य बिंदु

1. रमज़ान की आध्यात्मिक महत्ता:

रमज़ान के महीने में रोज़ा (उपवास) रखने से आत्मिक शांति और अल्लाह के करीब जाने का अवसर मिलता है।
यह महीना आत्म-निरीक्षण और पापों की माफी का समय है।

2. समाजिक एकता और भाईचारे की भावना :

रमज़ान में इफ्तार और सहरी के समय परिवार और समुदाय के साथ मिलकर भोजन करने से भाईचारे की भावना मजबूत होती है।
दान और ज़कात देने से समाज में समानता और सहायता का वातावरण बनता है।

3. स्वास्थ्य संबंधी सुझाव :

उपवास के दौरान संतुलित आहार और पर्याप्त जल सेवन के महत्व पर चर्चा की गई, ताकि स्वास्थ्य बना रहे।

4. लैलतुल क़द्र (शब-ए-क़द्र) :

इस विशेष रात की महत्ता पर जोर दिया गया, जो रमज़ान के अंतिम दस दिनों में आती है और जिसे हज़ार महीनों से भी श्रेष्ठ माना जाता है।

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