हर कोई चाहता है मुद्दे का समाधान हो, कोई बीच का रास्ता निकाल किसानों और सरकार के बीच फंसी रार समाप्त हो
इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान निरंतर धरने पर जमे हैं। वो लगातार इनको वापस लेने की मांग कर रहे हैं, लेकिन दोनों पक्षों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया, वहीं हरियाणा सरकार का साफ कहना है कि धरने पर जितने भी किसान हैं वो ज्यादातर पंजाब के हैं और वो कांग्रेस के इशारों पर काम कर रहे हैं। इसी बीच किसान आंदोलन को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का बयान आया है, जिसके चलते पंजाब व हरियाणा दोनों राज्यों की सियासत उफान पर है।
एक तरह से कहें तो भाजपा शासित सरकार एक्शन मोड में आ गई है और पंजाब सीएम को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। हालांकि ये तो नहीं कह सकते कि ऊंट किस करवट बैठेगा, लेकिन दोनों राज्यों के बीच सियासी पारा चढ़ गया है। इससे पहले एसवाईएल नहर के पानी के बंटवारे को लेकर भी दोनों आमने-सामने हैं। मामला सालों से लंबित है, लेकिन कोई समाधान नहीं हो पाया। हालांकि फिलहाल इतना ही कहा जा सकता है कि कैप्टन के बयान से हरियाणा सरकार फ्रंट फुट पर आ गई है और भाजपा नेता मामले को कैश करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
CM Amarinder: ने कहा कि पंजाब में 113 जगह लोग धरने पर बैठे हैं। इसका कोई फायदा नहीं है और इसका नुकसान पंजाब को ही है। जो दिल्ली या हरियाणा में आंदोलन कर रहे हैं, उनको करने दो। पंजाब सूबे ने हर बार किसानों की मदद की है। ऐसे में सभी किसानों को दिल्ली और हरियाणा में धरना देना चाहिए। पंजाब में 113 जगह धरने पर बैठना ठीक नहीं है।
कैप्टन के बयानों को लेकर हरियाणा भाजपा के नेता व मंत्रीगण उनके बयान की खिलाफत में उतर गए हैं। होम मिनिस्टर अनिल, कृषि मंत्री जेपी दलाल और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि ये आंदोलन पूरी तरह से राजनीतिक हो चुका है। सबको पता है कि आंदोलन के जरिए सियासत चमकाई जा रही है। ये आंदोलन अब किसानों का नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक पार्टियों का हो चुका है। वहीं इस पूरे मामले पर हरियाणा कांग्रेस की प्रतिक्रिया का भी इंतजार है कि पार्टी का क्या रुख है। वहीं पूरे मामले पर केंद्र सरकार निरंतर निगाह बनाए हुए है और पल-पल का इनपुट राज्य सरकार वहां दे रही है।
बता दें कि 11 सितंबर को राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों के मुद्दों पर सवालों के जवाब देते हुए कहा था कि बातचीत ही दोनों पक्षों के बीच समाधान का जरिया है। ऐसे में दोनों पक्षों को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। जहां तक केंद्र सरकार की बात है तो वो बातचीत के लिए तैयार है। उम्मीद है मुद्दे का पटाक्षेप होगा। ऐसे में राज्यपाल ने साफगोई से बता दिया कि बातचीत अति महत्वपूर्ण है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ कई दिनों से चंडीगढ़ में हैं और संगठन की बैठकें ले रहे हैं। इसी कड़ी में बैठक का आयोजन किया गया। हालांकि इसको संगठन संबंधी मामलों से जुड़ी बैठक बताया जा रहा था, लेकिन मिली जानकारी के अनुसार सभी बैठकों में किसान आंदोलन को लेकर रणनीति बनाने को लेकर चर्चा होती रही है।
पूरे मामले में अब किसानों नेताओं की निगाहें जमी हुई हैं कि वो अब इस पर क्या कहेंगे। जानकारी के अनुसार उनके शीर्ष नेता भी लगातार बैठकों का आयोजन कर रहे हैं कि आगे रणनीति क्या हो। इस तरह से कहें तो पूरे मामले पर पंजाब, हरियाणा सरकार व किसान नेता मंथन कर रहे हैं भविष्य में किस प्लानिंग को फॉलो कर आगे बढ़ा जाए।
कृषि कानूनों को लेकर किसानों का सरकार के साथ विरोध काफी लंबा खिंच गया है। सरकार भी लगातार कह रही है कि मामले का समाधान बातचीत ही है। ऐसे में किसानों को भी थोड़ा लचीला होना चाहिए। वहीं किसान भी निरंतर कह रहे हैं कि कानूनों की वापसी से कम कुछ मंजूर नहीं है।
कुल मिलाकर कहें तो स्थिति बेहद पेचीदगी वाली है और इससे निजात पाने के लिए सभी पक्षों को सकारात्मक रुख के साथ आगे बढ़ना होगा। क्योंकि ऐसा न करने पर स्थिति बिगड़ सकती है, जैसा कि करनाल में कुछ दिन पहले देखने को मिला। हालांकि बाद में एसीएस अधिकारी देवेंद्र सिंह व किसानों के बीच हुई बातचीत से मुद्दे का समाधान निकाल लिया गया।
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