गीता मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाती है इसलिए गीता के उपदेश को मानवीय जीवन की कठिनाइयों के लिए एक विषहर औषधि माना जाता है और यह विश्वव्यापी सत्य भी है। दत्तात्रेय ने कहा कि श्रीमद् भगवद् गीता मनुष्य के जीवन में आने वाली हर कठिनाई और बाधा का डटकर मुकाबला करने के लिए तैयार करती है।
मनुष्य के जीवन में आत्मविश्वास का निर्माण करती है। उन्होंने कहा कि गीता की शुरूआत धर्म शब्द से होती है-धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सव:। यहां धर्म शब्द किसी सम्प्रदाय या त्मसपहपवद का वाचक नहीं है, अपितु यहां धर्म शब्द का अर्थ कर्तव्य, न्यायपूर्ण कर्म, नैतिक मूल्य और सामाजिक व्यवस्था, बेहतर जीवन प्रबंधन है। गीता के 700 श्लोक जीवन के 700 सूत्र प्रतिपादित करते हैं। (Governor)
सच यह है कि गीता मानव जीवन की समस्याओं के समाधान व मानव प्रबंधन का सबसे उत्तम मार्ग दर्शन है। उन्होंने कहा कि गीता का सन्देश विश्व के लोग समझ लें तो सारे झगड़े ही मिट जाएं, सारी समस्याएं ही खत्म हो जाएं और सारा संसार एक वसुधैव कुटुम्बकम में बदल जाएगा। गीता के इसी अमर संदेश के आगे सारा संसार युगों-युगों से नतमस्तक है।
गीता सारे विश्व को समता और ममता का पाठ पढ़ाती है। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर गीता से संबंधित कार्यक्रम व सम्मेलन युवाओं को राष्ट्र निर्माण और मानवता की रक्षा में रचनात्मक योगदान के लिए प्रेरित करेंगे। उन्होंने युवाओं व विद्यार्थियों से अपील की कि सभी गीता का अध्ययन करें तो जीवन में किसी भी कठिनाई का मुकाबलों करने के लिए तैयार होंगे।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद, चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जीन्द के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, शंकरानंद सह संगठन मंत्री भारतीय शिक्षण मंडल, प्रांत मंत्री सुनील शर्मा व अन्य विदों व विद्वानों ने सम्मेलन में विचार रखे।