डॉ रविंद्र मलिक, चंडीगढ़:
Haryana Cabinet Expansion Update: आखिरकार इंतजार की घड़ी समाप्त हुई और 28 दिसंबर को भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार (BJP-JJP Coalition Government) की तरफ मंत्रिमंडल विस्तार को अंजाम दे दिया गया। भाजपा (BJP) का तरफ से हिसार सीट से विधायक कमल गुप्ता (Kamal Gupta) और जजपा (JJP) कोटे से टोहाना सीट से बड़े अंतर से चुनावी जीत दर्ज करने वाले देवेंद्र बबली (Devendra Babli) को कैबिनेट मिनिस्टर बना दिया गया। मंगलवार को शाम 4 बजे मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर राजभवन में कार्यक्रम रखा गया था लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Chief Minister Manohar Lal) ने दिन ही में मीडिया को इस बारे में अवगत करवा सभी कयासों और अनुमानों को विराम लगा दिया।
आज समाज ने 27 दिसंबर को इन दोनों विधायकों के मंत्री बनने की जानकारी दी थी। लेकिन इन दोनों के मंत्री बनने के बाद कई अन्य दावेदार विधायकों के कैबिनेट मिनिस्टर की कुर्सी पाने का ख्वाब धूमिल हो गया। ये तो तय ही था कि कुर्सी के लिए सीएम मनोहर एक आशीर्वाद जरूरी था। वहीं ये भी बता दें अंदरूनी जानकारी के अनुसार बबली निरंतर जजपा पर मंत्रिमंडल विस्तार का दबाव बना रहे थे।
बता दें कमल गुप्ता की आरएसएस में खासी पकड़ है जिसका इनाम उनको बतौर कैबिनेट मिनिस्टर की कुर्सी के रूप में मिला। लगातार उनके मंत्री बनने की चर्चा थी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राजभवन में आयोजित कार्यक्रम से पहले ही मुहर लगा दी। बता दें कि गुप्ता लंबे समय से संघ में सक्रिय हैं और सभी मुद्दों पर खासी पकड़ रखते हैं। सभी समीकरणों व पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उनका मंत्री बनना इसलिए पहले से ही तय माना जा रहा था। इसके अलावा उनकी मुद्दों पर भी खासी पकड़ है।
ये बात किसी से नहीं छिपी है कि देवेंद्र बबली लंबे समय से जजपा हाईकमान व डिप्टी सीएम दुष्यंत (Deputy CM Dushyant) से नाराज रहे। उन्होंने भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला को रिकॉर्ड वोटों के अंतर से मात दी थी और जब कैबिनेट का गठन हुआ था तो वो अपना मंत्री पद तय मानकर चल रहे थे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और बाद में उन्होंने पार्टी के खिलाफ एक तरह से मोर्चा खोल दिया था।
हालांकि बाद में उनकी डिप्टी सीएम दुष्यंत व उनके पिता अजय के साथ सुलह हो गई। इसके बाद ही माना जा रहा था कि मंत्रिमंडल विस्तार में उनको कुर्सी मिलेगी। वहीं दूसरी तरफ बबली की ताजपोशी को इस नजरिए से भी देखा जा रहा है, बराला पार्टी अब इतने ताकतवर नहीं रहे। अब देखना ये होगा कि आने वाले समय में दोनों के बीच क्या समीकरण रहेंगे ।
सीएम मनोहर लाल द्वारा जजपा कोटे से बबली के नाम की घोषणा के बाद पार्टी ने लंच का आयोजन किया गया। एक तरह से कहें तो लंच डिप्लोमेसी के जरिए डिप्टी सीएम दुष्यंत ने अन्य विधायकों को समझाने की कोशिश की। राजनीतिक जानकारों की मानें तो कई अन्य विधायक जो कि पद की दौड़ में थे, उनको मनाया व समझाया गया कि ये फैसला क्यों लिया गया। पार्टी की तरफ अमरदीप ढांडा का नाम भी चर्चा में था तो ईश्वर सिंह भी निरंतर दौड़ में बने थे। लेकिन पार्टी की तरफ बबली को ही तवज्जो दी गई जैसा कि पहले माना जा रहा था।
वहीं दूसरी तरफ दोनों पार्टियों की तरफ से जातीय समीकरणों को भी ध्यान में रखा गया। जैसा कि आज समाज ने 27 दिसंबर के अंक में पहले भी बता दिया था कि कैबिनेट के विस्तार में जातीय समीकरण की अहम भूमिका रहेगी। बता दें कि कमल गुप्ता वैश्य बिरादरी से हैं और भाजपा का इस बिरादरी में खासा वोट बैंक हैं। वहीं दूसरी तरफ देवेंद्र बबली जाट बिरादरी से हैं और इस बात से हर कोई इत्तेफाक रखता है कि जजपा को गत विधानसभा चुनाव में जाट समुदाय ने जमकर वोट डाली। ऐसे में पार्टी इस जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए जाट समुदाय के बबली की ताजपोशी की।
भाजपा व जजपा के कई विधायक निरंतर कुर्सी के लिए दिल्ली के चक्कर काट रहे थे तो कई अपने आकाओं की शरण में थे। भाजपा से निरंतर निर्मल चौधरी,(Nirmal Choudhary) सीमा त्रिखा (Seema Trikha) और अभय यादव (Abhay Yadav) का नाम लगातार चर्चा में था। इसके अलावा भी कई विधायक हर संभव प्रयास कर रहे थे। वहीं जजपा में जैसा कि ऊपर इंगित है, अमरजीत ढांडा (Amarjeet Dhanda) और ईश्वर सिंह (Ishwar Singh) लगातार प्रयासरत थे, लेकिन उनकी उम्मीदों को धक्का लगा।
वहीं ये बात भी रह रह कर चर्चा में थी कि कमजोर कार्यशैली वाले कई मंत्रियों के विभागों में या तो फेरबदल हो सकता है या फिर उनकी मंत्रिमंडल से रवानगी हो सकती है। लेकिन जब सामने आया कि मंत्रिमंडल में फिलहाल विस्तार ही हो रहा है तो उनकी जान में जान आई। कईयों को उनकी कुर्सी खिसकने का भी अंदेशा था लेकिन 28 दिसंबर को शाम तक सामने आया कि आने वाले समय में यही मंत्रिमंडल रहेगा, न कोई नया मंत्री बनेगा और ना कोई रुखसत किया जाएगा।
विस्तार के बाद मंत्रिमंडल पूरा हो गया। अब अगर जातीय समीकरणों की बात करें तो बता दें कि सबसे ज्यादा 5 मिनिस्टर जाट समुदाय से हैं। इनमें डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, जेपी दलाल, कमलेश ढांडा, रणजीत सिंह और देवेंद्र बबली शामिल हैं। वहीं पंजाबी बिरादरी से 2 स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल और होम मिनिस्टर अनिल विज हैं। एससी वर्ग से बनवारी लाल और अनूप धानक है। ब्राह्मण बिरादरी से मूलचंद शर्मा, बनिया से कमल गुप्ता, गुज्जर से कंवर पाल और यादव वर्ग से ओपी यादव हैं।
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