इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
हरियाणा के युवाओं ने खेलों के अलावा पिछले कुछ वर्षों में सरकारी व निजी नौकरियों में भी अव्वल स्थान हासिल कर सिद्घ कर दिया है कि अगर उनको राज्य सरकार द्वारा सही अवसर व मार्गदशर्न उपलब्ध करवा दिया जाए तो वे भी कामयाबी की बुलंदियों को छू सकते हैं। इसमें कोई दोराय नहीं कि युवा वर्ग के जोश एवं जज्बे को दिशा देने के लिए वर्तमान हरियाणा सरकार ने कई पुरानी नीतियों में संशोधन किया है और समय की आवश्यकता के अनुसार नई नीतियां भी लागू की हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने करीब 7 साल पहले जब पहली बार प्रदेश की बागडोर संभाली थी तो उनके राजनैतिक व सामाजिक अनुभव को लेकर विपक्षी राजनेताओं ने तरह-तरह की बयानबाजी की थी। परंतु एक सधे हुए घुड़सवार की भांति धीरे-धीरे उन्होंने सत्ता के घोड़े को जब साध कर विकास करवाना शुरू किया तो विरोधियों की बोलती बंद हो गई। युवा वर्ग के लिए मुख्यमंत्री ने एक के बाद एक कई योजनाएं शुरू की।
मिशन मैरिट को खूब पसंद किया गया। गरीब व मेहनती युवाओं को प्रतिभा के दम पर सरकारी नौकरियों में उच्च पद हासिल हुए। सरकारी व निजी नौकरियों के लिए प्रदेश के युवाओं को दिए जा रही हाई-लेवल कोचिंग व कौशल विकास प्रशिक्षण की राष्टÑीय स्तर पर जब चर्चा हुई तो कई अन्य राज्य अनुकरण के लिए आगे आए। देश के सर्वाधिक विश्वसनीय माने जाने वाले राष्टÑीय सांख्यिकीय संगठन ने भी हरियाणा सरकार द्वारा भारी संख्या में युवाओं को दिए जा रहे रोजगार पर अपनी मुहर लगाई है। इसी संगठन द्वारा किए गए सर्वेक्षण के आधार पर ही नीति आयोग और भारत सरकार अपने सभी नीतिगत निर्णय लेती है।
राष्टÑीय सांख्यिकीय संगठन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश की बेरोजगारी दर 13.3 प्रतिशत की तुलना में हरियाणा की बेरोजगारी की दर मात्र 9.9 प्रतिशत है। यह बेरोजगारी दर पड़ोसी राज्यों दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, पंजाब व अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम है।
इस संगठन के आंकड़ों के अनुसार बेरोजगारी दर दिल्ली राज्य की 12 प्रतिशत, राजस्थान की 15.1 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश की 13.4 प्रतिशत तथा पंजाब की दर 10.8 प्रतिशत है। उक्त संगठन द्वारा प्रकाशित आंकड़े जहां हरियाणा में 6-7 वर्षों में हुए विकास को रेखांकित करते नजर आते हैं, वहीं प्रदेश के अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने की दिशा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को सही साबित करते हैं। हालांकि विपक्ष तथा सीएमआईई जैसी संस्थाए राज्य में बेरोजगारी दर बढ़ी हुई दिखाते हैं परंतु उनके दावे तथ्यों पर सही साबित नहीं होते हैं। सीएमआईई की बात करें तो इसके द्वारा हरियाणा के एक तिहाई लोगों को बेरोजगार दिखा दिया है।
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