डॉ रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ : Haryana Rajya Sabha Election: इन दिनों देश के 15 राज्यों में 57 राज्यसभा सीटों पर चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां खासी तेज हैं। हरियाणा में भी दो सीटों को लेकर चुनाव है। देश भर में 10 जून को होने वाले इन चुनावों में इन दिनों एक नई सुगबुगाहट को जन्म दे दिया है, सवाल ये है कि क्या किसी प्रदेश में पैराशूट कैंडिडेट यानी कि बाहरी उम्मीदवार को टिकट देना कहां तक ठीक है।
पैराशूट कैंडिडेट को सामान्य तौर पर, जिसे किसी अन्य राज्य से टिकट देकर चुनाव में उतारा जाता है, उसको वहां के लोगों व राज्य की समस्याओं का कोई ज्यादा पता या आभास ही नहीं होता। ऐसे में उस राज्य के लोगों के बीच एक तरह से गलत संदेश जाता है।
ऐसा ही कुछ अबकी बार हरियाणा में कांग्रेस द्वारा किया गया है। इस पर ना केवल सवाल खड़े हो रहे हैं बल्कि चुनावी रण में उतारे गए बाहरी उम्मीदवार माकन चुनाव जीतने की संभावनाओं पर पहले ही तुषारापात हो गया है।
वहीं प्रदेश के ही और धरती पुत्र निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा का दावा बेहद मजबूत है। राजनीतिक जानकार भी इस बात से इत्तेफाक रखते हुए निरंतर कह रहे हैं कि उनका राज्यसभा जाना तय है। कांग्रेस द्वारा किसी बाहरी को टिकट देना उसके उम्मीदवार की हार के कारणों में से एक प्रमुख कारण होगा।
कार्तिकेय शर्मा के हरियाणा से होने के चलते वाजिब है कि उनको यहां के हर मुद्दे-मसले के बारे में अच्छा पता व ज्ञान है। चाहे युवाओं से जुड़े मसले हों या फिर सामाजिक समस्याएं, जिन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है, कार्तिकेय निरंतर इस दिशा में सक्रिय रहे हैं।
इसके अलावा सामाजिक सरोकार की कई मुहिम से जुड़े रहे हैं। बतौर आईटीवी नेटवर्क फाउंडर उन्होंने आखिरी बूंद कैंपेन शुरू किया था और इसके जरिए लोगों को जल संरक्षण की जरूरत व इसके फायदों को बताया।
इसके अलावा आईटीवी नेटवर्क की कोरोना के दौरान चलाई गई मुहिम को खूब सराहना मिली थी, इसके तहत जरूरतमंद लोगों को राशन व अन्य रोजमर्रा की जरूरत की चीजें मुहैया करवाई गई थी।
इसके अतिरिक्त वो महिलाओं व युवाओं से जुड़े मसलों को लेकर भी आयोजित कार्यक्रमों में अलग मंच पर दिखते रहे हैं। ऐसे में तय है कि इसका चुनाव में उनको फायदा मिलेगा और वो राज्यसभा में हरियाणा के युवाओं, महिलाओं व किसानों के मुद्दे उठाएंगे।
हरियाणा के मुद्दों और यहां की राजनीति से माकन का कोई खास वास्ता नहीं है। राजनीतिक जानकारों का भी साफ कहना है कि उनका हरियाणा की राजनीति में वो तकनीकी तौर पर बाहरी ही हैं, वही दिल्ली की राजनीति में ही रहे हैं।
इसके अलावा वो कांग्रेस के राजस्थान मामलों के प्रभारी हैं। इसके अलावा दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं, लेकिन हरियाणा की बात करें तो धरातल पर स्थिति उलट है और यहां के मुद्दों व राजनीति से पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं।
अजय माकन का पैराशूट कैंडिडेट होना किसी के गले नहीं उतर रहा है। हरियाणा में विपक्षी दल इस मामले को भुनाने में पूरी तरह से सफल रहे हैं कि अजय माकन बाहरी हैं और कार्तिकेय हरियाणा के रहने वाले यानी कि धरतीपुत्र हैं, ऐसे में माकन को बतौर कैंडिडेट उतारना प्रदेश के मामलों व यहां के लोगों की अनदेखी करने जैसा है। राज्यसभा में कोई व्यक्ति भेजा जाना चाहिए जो कि प्रदेश से हो और यहां के मुद्दों से अच्छे से वाकिफ हो।
कार्तिकेय शर्मा बेशक सीधे तौर पर राजनीति में पहली बार ताल ठोक रहे हैं लेकिन उनको प्रदेश व देश की राजनीति की खासी समझ है। उनको प्रदेश के मुद्दों के बारे स्पष्ट तौर पर पता है। इसके अलावा उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे हैं और प्रदेश की राजनीति में बड़ा चेहरा हैं। ऐसे में राजनीतिक मुद्दों से भी खासे परिचित हैं।
माकन को जब से कांग्रेस ने चुनाव में उतारा है, पार्टी के अंदर ही ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं। खुद पार्टी के कई सीनियर नेता निरंतर अंदरुनी तौर पर कह रहे हैं कि पार्टी को प्रदेश से ही कैंडिडेट को टिकट देना चाहिए था।
पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर व कांग्रेस दिग्गज कैप्टन अजय यादव कह चुके हैं कि चूंकि टिकट किसे दिया जाए, ये तो पार्टी हाईकमान का फैसला है। वहीँ कई विधायकों ने कहा कि अगर पार्टी को हरियाणा के किसी नेता को ये टिकट दिया जाना चाहिए था। यादव ने कुमारी सैलजा को राज्यसभा टिकट नहीं दिए जाने पर सवाल उठाए थे।
ऐसे में साफ है कि माकन को टिकट दिया जाना कांग्रेस की तरफ भारी भूल के रूप में सामने आ रहा है।
हम जीतने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस का उम्मीदवार बाहरी है और उनको हरियाणा के मुद्दों की समझ ही नहीं है तो यहां के मुद्दों को कैसे उठाएंगे। कार्तिकेय हरियाणा से ही हैं और उनको यहां के मुद्दों का पता है। इसीलिए कार्तिकेय ने चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
विनोद शर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री व कार्तिकेय के पिता
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