कहा- भारत और श्रीलंका के संबंधों को मिलेगी और मजबूती
इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि कृषि, डेरी उत्पादन व आॅटोमोबाइल के क्षेत्र में हरियाणा राज्य श्रीलंका का हरसंभव सहयोग करेगा, जिससे भारत और श्रीलंका के संबंधों को और मजबूती मिलेगी। भारत और श्रीलंका की जलवायु, परम्पराएं, संस्कृति व भौगोलिक स्थिति परस्पर मिलती-जुलती है। दत्तात्रेय सोमवार को यहां राजभवन में श्रीलंका सरकार के पिछड़ा ग्रामीण क्षेत्र विकास, पशुपालन विकास तथा सूक्षम आर्थिक कृषि फसल मंत्री सथासिवम व्यालेंद्रन से बातचीत कर रहे थे। व्यालेंद्रन ने राज्यपाल दत्तात्रेय के साथ शिष्टाचार मुलाकात में श्रीलंका के सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक विषयों के साथ-साथ सरकार की योजनाओं पर बातचीत की। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव अतुल द्विवेदी, श्रीलंका के प्रधानमंत्री के समन्वय सचिव सेन्थिल थोन्डामन उपस्थित थे।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने श्रीलंका के लिए हरियाणा के हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि हरियाणा के किसानों ने नई तकनीकी का प्रयोग कर देश में खाद्यान्न उत्पादन में दूसरा स्थान प्राप्त कर रिकार्ड कायम किया है। सन 2020-21 के दौरान हरियाणा ने 80 लाख मिट्रिक से भी अधिक गेहूं का उत्पादन कर नया कीर्तिमान कायम किया है।
इसी प्रकार दुग्ध उत्पादन में प्रति व्यक्ति उपलब्धता के मामलों में हरियाणा अग्रणी राज्य है। श्रीलंका के मंत्री सथासिवम व्यालेंद्रन ने हरियाणा से पूंजी निवेशकों, प्रगतिशील किसानों और पशुपालकों के माध्यम से श्रीलंका में पूंजीनिवेश और कृषि विकास को बढ़ावा देने में सहयोग की अपेक्षा है। श्रीलंका सरकार द्वारा भूमि आदि से संबंधित सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं।
श्री व्यालेंद्रन ने विशेष रूप से जैविक खेती और दुग्ध उत्पादन में मुर्राह भैंसों की नस्ल को बढ़ावा देने में हरियाणा से विशेष अपेक्षा जाहिर की। उन्होंने कहा कि किसानों को खेती के लिए बड़े-बड़े जोत पट्टे व पशुपालन के लिए फार्म आदि से संबंधित बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएगी। श्रीलंका सरकार ने इन क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में फालतू पड़ी भूमि को उपयोग में लाने के लिए योजनाएं बनाई है जिनके क्रियान्वयन पर तेजी से काम हुआ है। वहीं सथासिवम ने कहा कि हरियाणा की जैविक खाद और हाईब्रीड बीजों की तकनीक की सराहना की और कहा कि श्रीलंका में खेती को बढ़ावा देने के लिए इन तकनीक का उपयोग किया जाएग। उन्होंने इसके लिए प्रदेश के विश्वविद्यालयों, कृषि विशेषज्ञों को भी आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि सभी विषयों से संबंधित विशेषज्ञों का श्रीलंका का दौरा करवाने के लिए श्रीलंका सरकार पूरी तरह तैयार है।
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