चौटाला और हुड्डा के जीवन के दिलचस्प किस्से, पिता से सियासी गुर सीखे, नहीं टाली कभी अपने पिता की बात!
India News Haryana (इंडिया न्यूज), Political History of Haryana : हरियाणा की सियासी इतिहास काफी रोचक और अनूठा रहा है। सियासी सफर काफी दिलचस्प किस्सों को समेटे हुए है। हरियाणा में अब तक 10 राजनेता 24 बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ चुके हैं। इन राजनेताओं में दो मुख्यमंत्रियों के साथ एक अनूठा और मिलता-जुलता किस्सा जुड़ा हुआ है जिसका आज हम जिक्र करेंगी। जी हां, चौधरी ओमप्रकाश चौटाला पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। ओमप्रकाश चौटाला ने राजनीति का पाठ अपने पिता चौधरी देवीलाल से सीखा।
चौधरी देवीलाल लगभग 60 वर्ष तक राजनीति में सक्रिय रहे और वे इस दौरान दो बार देश के उपप्रधानमंत्री बनने के अलावा दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। वे तीन बार लोकसभा के सदस्य रहने के अलावा 8 बार विधायक भी चुने गए। साल 1989 के अंत में चौधरी देवीलाल ने अपने बेटे चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया और उन्हें हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया।
ओमप्रकाश चौटाला अपने पिता के सिद्धांतों का पालन तो करते ही थे तो उनके निर्देशों की भी कभी उल्लंघना नहीं की। जब चौटाला पहली बार मुख्यमंत्री बने, तब चौ. देवीलाल ने सार्वजनिक मंच से कहा था कि अगर ओम जनता के काम नहीं करेगा तो वे उसके कान खींच देंगे।
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ऐसा ही एक दिलचस्प किस्सा भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ जुड़ा हुआ। हुड्डा ने भी सियासी गुर अपने पिता रणबीर सिंह हुड्डा से सीखे और वे उनका जहां पूरा आदर करते थे, वहीं उनकी बात को भी कभी नहीं टाला। खास बात ये है कि हुड्डा जवानी के समय से धूम्रपान करने लगे थे।
2005 में जब वे हरियाणा के मुख्यमंत्री बने, तब भी उन्होंने सिगरेट नहीं छोड़ी। वे एक दिन में काफी सिगरेट पीते थे। उनके पिता रणबीर हुड्डा आर्य समाजी थे और उन्हें अपने बेटे भूपेंद्र की सिगरेट पीने की आदत अच्छी नहीं लगती थी और अंतत: एक दिन पिता के कहने पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सिगरेट का सदा के लिए त्याग कर दिया।
गौरतलब है कि हरियाणा की राजनीति का समय-समय पर प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में भी खूब चर्चा रहा है। प्रदेश के सबसे बड़े सियासी घराने के प्रमुख चौधरी देवीलाल ने हरियाणा की राजनीति में एक खास मुकाम हासिल किया और केंद्र की राजनीति तक रुतबा बनाया। साल 1989 के अंत में चौधरी देवीलाल केंद्र की राजनीति में सक्रिय हो गए।
2 दिसंबर 1989 को उन्होंने अपने बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया। चौधरी देवीलाल जमीन से जुड़े हुए थे। किसान-कमेरे वर्ग को लेकर उनका काम करने का अपना एक तरीका था। जब उन्होंने पहली बार अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाया, तो सार्वजनिक मंच से संदेश दिया कि मुख्यमंत्री की कुर्सी जिम्मेदारी वाली होती है। अगर ओम आपके काम नहीं करेगा तो मैं उसके कान खींच दूंगा।
मालूम रहे कि 6 अप्रैल, 2001 को चौधरी देवीलाल का निधन हो गया। उनके निधन के बाद नई दिल्ली में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में अपने पिता काे स्मरण करते हुए ओमप्रकाश चौटाला काफी भावुक नजर आए थे। तब अपने ही पिता की बातों को याद करते हुए ओमप्रकाश ने भावुक मन से कहा था अब उनके कान खींचने वाला चला गया। यह कहकर चौटाला मंच पर ही रो पड़े थे।
उल्लेखनीय है कि देवीलाल हरियाणा की राजनीति में बरगद की तरह तो थे ही। इसके साथ ही ताऊ देवीलाल राजनीति के इनसाइक्लोपीडिया भी थे। उनका राजनीति में तजुर्बा और काम करने का तरीका और सलीका बड़ा निराला था। ऐसे में ओमप्रकाश चौटाला ने भी अपने पिता के उस तरीके और सलीके को अपनाने की कोशिश की और वे आज भी हर सभा व बैठक में देवीलाल को स्मरण करते हुए उनकी पुरानी बातों व यादों का जिक्र जरूर करते हैं।
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