कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति ने दिए जांच के आदेश
खुद वीसी ने कैश एंड फीस शाखा में की थी पूछताछ
इंडिया न्यूज, कुरुक्षेत्र:
विश्वविद्यालय में पूर्व छात्रों को दिए जाने वाले गोल्डन मर्सी चांस के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। गोल्डन मर्सी चांस की एवज में विश्वविद्यालय को जो मोटी फीस मिलनी थी वो मिली ही नहीं, जिसके कारण पिछले सालों में केयू को लाखों रुपयों की चपत लग गई। मामले की जांच की कमान कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने खुद संभाली है। केयू वीसी की ओर से मामले की जानकारी के बाद विश्वविद्यालय की फीस शाखा का निरीक्षण भी किया गया था। उसके बाद ही उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए। गौरतलब है कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की ओर से हर वर्ष पुराने छात्रों को री-अपीयर और इंप्रूवमेंट के लिए गोल्डन मर्सी चांस दिया जाता है। यह चांस वर्ष में एक बार वार्षिक परीक्षाओं के समय में दिया जाता है, जिसमें केयू की ओर से सत्र 2020-21 के लिए 20 हजार रुपए फीस निर्धारित की गई थी, इसके साथ ही नॉर्मल फीस भी छात्रों से केयू प्रशासन लेता है, लेकिन फीस केयू तक पहुंची ही नहीं।
मामले में केयू प्रशासन को बड़े घपले की जानकारी तब मिली, जब कुछ परीक्षा फार्मों पर नकली रसीद पाई गई। मामले में केयू के परीक्षा नियंत्रक ने स्वयं वीसी को शिकायत की थी, जिसके बाद केयू वीसी ने पिछले महीने अकाउंट विभाग की केश एंड फीस शाखा में पूछताछ की थी। उस समय वीसी ने लगभग दो घंटे कर्मचारियों से पूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी ली थी, जिसके बाद उन्होंने जांच के आदेश दिए हैं।
बता दें कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में विभिन्न पाठ्यक्रमों में परीक्षा फार्म छात्र स्वयं विश्वविद्यालय परिसर में आकर या केयू में आने की बजाय अपने शहर के बुकसैलरों के माध्यम से भरते हैं। छात्र अपनी फीस भी इन्ही बुकसैलरों को दे देते हैं। इस मामले में भी इन्हीं बुकसैलरों की संलिप्तता सामने आई है। इनके तार केयू कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक होते हैं। इन्होंने ही छात्रों से गोल्डन मर्सी चांस की फीस ली और उसके बाद यह खेल खेला।
केयू प्रशासन की ओर से मामले में जांच कमेटी का गठन किया है। जो बुकसैलरों और कर्मचारियों की मिलीभगत की जांच कर रही है, जिसके लिए जांच कमेटी की ओर से फीस शाखा से दस्तावेज भी मंगवाए हैं।
भले ही मामले की जांच केयू कुलपति ने इसी सत्र से की हो, लेकिन यह खेल पुराना हो सकता है। केयू पिछले कई वर्षों से मोटी फीस वसूल कर गोल्डन मर्सी चांस दे रहा है। ऐसे चांस प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या भी प्रति वर्ष हजारों में होती है। यह घपला कई सालों से भी चल रहा हो सकता है, जिसके कारण घपले की राशि भी करोड़ों में हो सकती है।
केयू ऐसे छात्रों को गोल्डन मर्सी चांस देता है जो पिछले वर्षों में किन्हीं कारणों से अपनी डिग्री पूरी नहीं कर पाए या वे अपने अंक सुधार करना चाहते हैं। ऐसे में पूर्व कुलपति डॉ. डीडीएस संधू के कार्यकाल में केयू ने दस हजार रुपए फीस के साथ गोल्डन मर्सी चांस की शुरुआत की थी। उसके बाद गोल्डन मर्सी चांस की फीस बढ़ती चली गई। वर्तमान में केयू की ओर से गोल्डन मर्सी चांस की फीस 20 हजार रुपए की है। इसके बाद केयू की नॉर्मल फीस और वर्ष के अनुसार फीस बढ़ती भी है, जो लगभग 30 हजार रुपए तक पहुंच जाती है।
केयू रजिस्ट्रार डॉ. संजीव शर्मा ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। इसके लिए प्रशासन की ओर से कमेटी का गठन किया गया है। अभी कमेटी फीस शाखा के दस्तावेजों की जांच कर रही है।
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