माँ के बाद बच्चे बोलना सीखते हैं ये दो शब्द

‘मां’ बोलना सीखने के बाद बच्चे कौन से दूसरे शब्द सीखते हैं,शोधकर्ताओं ने पाया है अक्सर बच्चे ‘मां’ शब्द के बाद ‘यह’ और ‘वह’ बोलना सीखते है

आमतौर पर बच्चे जब बोलना सीख रहे होते हैं, तो सबसे पहला शब्द जो वे जल्दी सीख जाते हैं, वह है ‘मां’। इसके बाद वे धीरे-धीरे और कई शब्द बोलना और इस्तेमाल करना सीखते हैं, लेकिन इन पर ज़्यादा ध्यान नहीं जाता। हाल ही में बच्चों के पहले और उसके बाद के शब्दों को लेकर एक रिसर्च की गई। ‘मां’ बोलना सीखने के बाद बच्चे कौन से दूसरे शब्द सीखते हैं, यह जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

इस शोध में पाया गया कि अक्सर बच्चे ‘मां’ शब्द के बाद ‘यह’ और ‘वह’ बोलना सीखते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि देखभाल करने वालों के ध्यान को खींचने में मदद करने वाले शब्द बच्चे सबसे पहले सीखते हैं और अक्सर उनका उपयोग करते हैं। अध्ययन के निष्कर्ष ‘जर्नल ऑफ चाइल्ड लैंग्वेज’ में प्रकाशित हुए थे।

“यह” और “वह” जैसे शब्दों के शुरुआती उपयोग को व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषाओं जैसे अंग्रेजी, स्पेनिश और मंदारिन में प्रलेखित किया गया है।

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भाषा विज्ञान की विद्वान Amalia Skilton  ने कहा, “बच्चे ऐसे शब्द जल्दी सीख जाते हैं, जो दूसरों का ध्यान वस्तुओं की ओर आकर्षित करते हैं – जैसे ‘यह-वह’ और ‘यहां-वहां’ बहुत कम उम्र में सीख जाते हैं, जब वे बहुत कम अन्य शब्द जानते हैं। स्किल्टन का मानना है कि ‘मां’ की तरह ‘यह-वह’ और ‘यहां-वहां’ भी बच्चे के पहले शब्दों के समान ही दिखाई देते हैं।

स्किल्टन ने कहा कि शोध इस बात की पुष्टि करता है कि देखभाल करने वालों के शब्दों का इस्तेमाल बच्चे लगभग 12 से 18 महीने की उम्र में ही करना शुरू कर देते हैं। फिर “चाहे वे कोई भी भाषा क्यों न बोलते हों।” अपनी छोटी शब्दावली के बावजूद भी बच्चे इन शब्दों का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं।

यह फैक्ट सब जानते हैं कि बच्चों को वह चीज़ें समझने में परेशानी होती है जो बड़े देखते हैं या समझते हैं। वे वक्त के साथ चीज़ों को समझने लगते हैं, या शब्दों का इस्तेमाल करने लगते हैं। स्किल्टन का कहना है कि अगर तीन साल से कम उम्र के बच्चे शब्दों का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं कर पाते हैं, तो इसे लेकर मां-बाप या देखभाल करने वालों को परेशान नहीं होना चाहिए।

स्किल्टन ने यह भी कहा कि वयस्क जिन शब्दों को आसाम मानते हैं या आसानी से समझ लेते हैं, उनका मतलब समझना बच्चों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता। इन बातों या आसपास की चीज़ों को समझने में दिक्कत आना बचपन में होने वाले विकास का एक अहम हिस्सा है।

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