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Neck Pain : आम होता जा रहा गर्दन का दर्द, जानें ऐसे पाएं राहत

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Neck Pain : आजकल की जीवन शैली यानि आरामदायक लाइफ स्टाइल के कारण हम कई बीमारियों की चपेट में आते जा रहे हैं। गर्दन का दर्ज भी एक ऐसा ही दर्द है जिससे व्यक्ति काफी परेशान हो जाता है। आपको बता दें कि हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी में कुल मिलाकर 33 कोशिकाएं होती हैं जिसमें 7 कोशिकाएं गर्दन से सम्बन्धित होती हैं। इन कोशिकाएं को सरवाइकल वर्टिबा कहते हैं। इन कोशिकाएं से निकली वातनाड़ियां मस्तिष्क, आंख, नाक, कान, माथा, मुंह, दांत, तालु, जीभ, थाइरायड ग्रंथि तथा कुहनियों का संचालन करती हैं। इसलिए यदि गर्दन में कोई रोग हो जाता है तो इसका प्रभाव शरीर के सभी अंगों पर भी पड़ता है।

Neck Pain : ये हैं गर्दन में दर्द होने के लक्षण

इस रोग के हो जाने पर गर्दन में अकड़न व दर्द होना शुरू हो जाता है। कुछ समय बाद गर्दन में धीरे-धीरे दर्द तथा अकड़न बढ़ती जाती है। इस रोग के कारण दर्द कभी कंधे, कभी सिर व दोनों बाजुओं में शुरू हो जाता है। इस रोग के कारण रोगी की एक या दोनों बाजुओं में सुन्नता होने लगती है जिसके कारण रोगी को सब्जी काटने या लिखने से कठिनाई महसूस होती है। इतना ही नहीं सिर में चक्कर भी आने लगते हैं, हाथ-पैरों की पकड़ कमजोर पड़ जाती है तथा गर्दन को इधर-उधर घुमाने में परेशानी होने लगती है। इस रोग के कारण रोगी को बेचैनी जैसी समस्याएं भी होने लगती हैं।

इनसे बचें

  • अपने भोजन में तली-भुनी, ठंडी-बासे या मसालेदार पदार्थों का अधिक सेवन करने के कारण भी गर्दन में दर्द का रोग हो सकता है।
  • गर्दन में दर्द गलत तरीके से बैठने या खड़े रहने से भी हो जाता है जैसे-खड़े रहना या कूबड़ निकालकर बैठना।
  • भोजन में खनिज लवण तथा विटामिनों की कमी रहने के कारण भी गर्दन में दर्द की समस्या रह सकती है।
  • कब्ज भी गर्दन में दर्द का कारण हो सकता है।
  • पाचनशक्ति में गड़बड़ी हो जाने के कारण गर्दन में दर्द का रोग हो सकता है।
  • अधिक चिंता, क्रोध, ईर्ष्या, शोक या मानसिक तनाव की वजह से भी गर्दन में दर्द हो सकता है।

गर्दन के दर्द को प्राकृतिक चिकित्सा से ठीक करने के लिए उपचार

  • गर्दन के दर्द को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार सबसे पहले रोगी के गलत खान-पान के तरीकों को दूर करना चाहिए और फिर रोगी का उपचार करना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को हमेशा पौष्टिक भोजन करना चाहिए। रोगी को अपने भोजन में विटामिन डी लोहा, फास्फोरस तथा कैल्शियम का बहुत अधिक प्रयोग करना चाहिए, ताकि हडि्डयों का विकास सही तरीके से हो सके और हडि्डयों में कोई रोग पैदा न हो सके।
  • शरीर में विटामिन डी लोहा, फास्फोरस तथा कैल्शियम मात्रा को बनाये रखने के लिए व्यक्ति को अपने भोजन में गाजर, नीबू, आंवला, मेथी, टमाटर, मूली आदि सब्जियों का अधिक सेवन करना चाहिए। फलों में रोगी को संतरा, सेब, अंगूर, पपीता, मौसमी तथा चीकू का सेवन अधिक करना चाहिए।
  • गर्दन में दर्द से पीड़ित व्यक्ति को चोकरयुक्त रोटी व अंकुरित खाना देने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
  • गर्दन के दर्द तथा अकड़न को दूर करने के लिए भुजंगासन, धनुरासन या फिर सर्पासन करना लाभकारी रहता है।
  • गर्दन के दर्द तथा अकड़न को ठीक करने के लिए प्राणायाम व ध्यान का अभ्यास करें।
    गर्दन के दर्द तथा अकड़न की समस्या को दूर करने के लिए रोजाना सुबह के समय में खुली ताजी हवा में घूमें।
  • योगाभ्यास तथा विशेष व्यायाम से गर्दन के दर्द से पूरी तरह छुटकारा मिल सकता है।
  • सोने के लिए व्यक्ति को सख्त तख्त का ही प्रयोग करना चाहिए।
    सोते समय गर्दन के नीचे तकिए का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

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