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CM Window पर बढ़ा आरटीआई एक्टिविस्ट व व्हिसल ब्लोअर्स का विश्वास

गुरुग्राम के पारस अस्पताल पर लगाया 16 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना
इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
(CM Window)
आज के इस सूचना प्रौद्योगिकी के युग में मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा शुरू की गई सीएम विंडो जहां लोगों के लिए आसान, असरदार व भरोसेमंद व्यवस्था सिद्ध हो रही है तो वहीं आरटीआई एक्टिविस्ट व व्हिसल ब्लोअर्स का भी इसके प्रति विश्वास बढ़ा है क्योंकि उनकी शिकायत पर गुरुग्राम के पारस अस्पताल पर एफआईआर दर्ज व 16 लाख रुपए से अधिक का जुर्माना लगाया गया है। मुख्यमंत्री के ओएसडी भूपेश्वर दयाल ने बताया कि गुरुग्राम के आरटीआई एक्टिविस्ट व व्हिसल ब्लोअर्स के ग्रुप अधिकार के एक सदस्य रमेश यादव ने सीएम विंडो पर शिकायत की थी कि गुरुग्राम के सैक्टर-43 स्थित पारस अस्पताल में पार्किंग के नाम पर एक माफिया अवैध वसूली कर रहा है। अस्पताल के बेसमेंट-2 पर अस्पताल प्रबन्धन ने नगर निगम से प्रॉपर्टी टैक्स में 100 फीसदी छूट ले रखी है। उन्होंने कहा कि इस मामले में हमने सैक्टर-43 के चौकी इंचार्ज और उसके बाद पुलिस आयुक्त, गुरुग्राम को भी शिकायत दी थी, परंतु उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब भी अस्पताल में पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली जारी है। भूपेश्वर ने बताया कि सीएम विंडो द्वारा इस मामले में कड़ा संज्ञान लिया गया। अस्पताल के पास इसके अलावा व्यावसायिक पार्किंग के लिए कोई अन्य जगह उपलब्ध नहीं है। उन्होंने बताया कि नगर निगम के अधिकारियों द्वारा अस्पताल की ओर से उपलब्ध करवाए गए दस्तावेजों के आधार पर 16,27,582 रुपए का प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने के आदेश जारी किए। अस्पताल प्रबन्धन ने 25 जनवरी, 2021 को इसमें से 12,89,647 रुपए की राशि जमा करवा दी तथा शेष राशि को माफ करने का अनुरोध किया। नगर निगम आयुक्त द्वारा इसकी पुनर् गणना की गई और पाया गया कि 16,27,582 रुपए के प्रॉपर्टी टैक्स की गणना खुली जगह में पार्किंग के आधार पर की गई है जबकि यह कवर्ड एरिया से की जानी चाहिए, जिसे बाद में ठीक कर लिया गया है।

प्रोफेसर को दिलवाई DA की बकाया राशि

एक अन्य मामले में भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां (सोनीपत) की सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ0 शंकुतला सहारण ने सीएम विंडो पर शिकायत दी थी कि विश्वविद्यालय द्वारा पहली जुलाई, 2019 से 31 दिसम्बर, 2019 तक की अवधि का 11190 रुपए की दर पर 5 प्रतिशत के हिसाब से बेसिक पेंशन में DA नहीं दिया गया। इसके अलावा, उनका 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार पहली जनवरी, 2016 से 31 मार्च, 2019 की अवधि का बकाया तथा एलटीसी भी विश्वविद्यालय की ओर लम्बित है। भूपेश्वर दयाल के अनुसार सीएम विंडो द्वारा इस सम्बंध में जब विश्वविद्यालय के अधिकारियों को सम्पर्क किया गया तो उन्होंने अपनी गल्ती मानते हुए बताया कि प्रोफेसर डॉ. शंकुतला सहारण के सारे बकाया की राशि में से 19,653 रुपए टीडीएस काटकर जो 1,76,874 रुपए बनती है, को चैक के माध्यम से उनको भेज दिए गए हैं।

India News Editor

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