इंडिया न्यूज, चंडीगढ़ :
Surjewala Oppose 300 percent Hike in HRDF : कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा सरकार की ओर से धान पर एचआरडीएफ फीस में 300 प्रतिशत बढ़ोतरी को किसान-व्यापारी विरोधी फैसला बताते हुए भाजपा-जजपा सरकार से इस फैसले तो तुरंत वापिस लेने की मांग की है।
भाजपा-जजपा सरकार द्वारा 1509, मुच्छल, सरबती, 1121 सहित धान की सभी किस्मों पर मंडियों में एचआरडीएफ फीस को 0.5 प्रतिशत से बढाकर 2 प्रतिशत करने के फैसले की कड़ी निंदा करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि कोरोना काल में इस अदूरदर्शी फैसले से हरियाणा के किसान के धान को या तो अपनी फसल पड़ोसी राज्यों की मंडियों में बेचनी पड़ेगी या उसे व्यापारियों को धान 100-120 रुपए प्रति क्विंटल सस्ता बेचना पड़ेगा।
पिछले साल मार्केट फीस में भी किया था बढ़ावा Surjewala Oppose 300 percent Hike in HRDF
उन्होंने याद दिलाया कि पिछले वर्ष जून महीने में मनोहर-चौटाला सरकार ने प्रदेश में मार्केट फीस को भी 0.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत कर दिया था, जिससे किसानों, आढ़तियों और राइस मिलर्स को नुकसान हुआ था। अब इस नए फैसले से तो इनकी कमर ही टूट जाएगी।
सुरजेवाला ने कहा कि पिछले वर्ष प्रदेश में 42.50 लाख टन बासमती और 1509 धान हुआ, जबकि 56 लाख टन परमल हुआ, अब एचआरडीएफ फीस बढ़ाने से किसानों के अलावा मंडी के आढ़तियों, मुनीमों, मजदूरों और राइस मिलर्स सभी पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा, पर स्वाभाविक रूप से इस फैसले का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव किसानों को ही भुगतना पड़ेगा।
किसानों को दूसरे राज्यों में बेचनी पड़ेगी फसल
सुरजेवाल ने कहा कि किसान को या तो अपने धान को पंजाब-दिल्ली आदि पडोसी प्रदेशों में बेचना पड़ेगा, जिससे किसान को अपने समय के साथ-साथ दूसरे राज्यों में ट्रांसपोर्ट का खर्चा भी देना पड़ेगा, जिससे लागत बढ़ेगी। सुरजेवाला ने कहा कि किसान अगर अन्य प्रदेशों की मंडियों में अपनी फसल बेचने के लिए जाते हैं, तो इससे उन्हें आर्थिक नुकसान होगा बल्कि प्रदेश सरकार को भी राजस्व कम मिलेगा।
हमारा धान पड़ोसी प्रदेशों में जाने से प्रदेश सरकार को उम्मीद के अनुसार टैक्स भी नहीं मिल पाएगा। प्रदेश में धान बेचने की स्थिति में व्यापारी देश या विदेश के खुले बाजार से मिलने वाली कीमतों में से बढ़ी हुई एचआरडीएफ फीस, जो लगभग 100 से 120 रुपए प्रति क्विंटल आएगी को कम देंगे और उसकी वसूली स्वाभाविक रुप से किसानों से करेंगे, जिससे इस फैसले के अनुसार प्रदेश के किसानों पर लगभग 500 करोड़ रुपए का आर्थिक बोझ पड़ेगा।
Connect With Us: Twitter Facebook