Karnataka: अक्सर बच्चें बचपन में सिक्के निगल जाते है, यह अधिकतार होता ही है. लेकिन क्या कभी आपने ऐसा सुना है कि किसी व्यक्ति को सिक्के खाने की बीमारी हो या खाने कि जगह इंसान सिक्के खाता हो. बता दें कि कर्नाटक के रायचूर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जहां अस्पताल में एक शख्स के पेट से 187 सिक्के निकाले गए हैं। पहले उसके पेट में दर्द उठा और फिर उल्टी की शिकायत हुई जिसके बाद उस शख्स को अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टर ने अलग-अलग टेस्ट और एंडोस्कोपी की। जिससे पता चला कि व्यक्ति के पेट में बहुत सारे सिक्के हैं।
बता दें कि कर्नाटक (Karnataka) के बागलकोट शहर से एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है, जहां डॉक्टर ने एक शख्स के पेट से 187 सिक्के (187 coin) सर्जरी करके निकाले है। शख्स का नाम दयमप्पा हरिजन है और वो रायचूर जिले के लिंगसुगुर शहर का निवासी हैं। बागलकोट के हनागल श्री कुमारेश्वर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टरों का कहना है कि उल्टी और पेट में तकलीफ की शिकायच के बाद यहां भर्ती कराए गए मरीज के शरीर से उन्हें 187 सिक्के मिले हैं। जहां मरीज के अलग-अलग टेस्ट और एंडोस्कोपी की गई. जिसमें समाने आया कि एक, दो और पांच रुपये के अलग-अलग 187 सिक्के मरीज के पेट में है, जिनकी कुल कीमत 462 रुपये है। जिसके बाद डॉक्टर ने मरीज का ऑपरेशन किया ।
डॉक्टर की एक टीम ने ऑपरेशन किया । जहां डॉ ईश्वर कुलबर्गी का कहना है कि यह एक चुनौती भरा केस था। ऑपरेशन करना बिल्कुल भी आसान नहीं था। मरीज का पेट गुब्बारे जैसा हो गया था। पेट में हर जगह सिक्के थे। ऑपरेशन थिएटर में हमने सीआर के जरिए सिक्कों को ढूंढा। मैंने देखा कि सिक्के कहां-कहां हैं। फिर सिक्कों को निकाला गया। जिसमें उन्हें 1.2 किलोग्राम सिक्के मिले।
डॉक्टरों के मुताबिक व्यक्ति को सिजोफ्रेनिया नाम की बीमारी है। जी हां मारीज के बेटे ने बताया कि पापा मानसिक रूप से परेशान चल रहे थे लेकिन रोजमर्रा के काम भी करते रहते थे। उन्होंने कभी घर में इस बारे में नहीं बताया कि उन्होंने सिक्के निगले हैं।
अचानक जब उन्हें पेट में दर्द हुआ तो हमें बताया गया। लेकिन तब भी पता नहीं चला कि उन्होंने सिक्के निगले हैं। पापा को हॉस्पीटल में एडमीड किया गया. उस दौरान एब्डोमिनल स्कैन में पता चला कि उन्होंने 1.2 किलोग्राम सिक्के निगले हैं, और डॉक्टर ने उन्हें सिजोफ्रेनिया की बीमारी है।
डॉक्टर्स के मुताबिक सिजोफ्रेनिया एक गंभीर बीमारी है. इस बीमारी में मरीज असामान्य रूप से सोचते हैं और आसामान्य महसूस करते हैं। इसलिए असामान्य व्यवहार करते रहते हैं। सीजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक रोग है। लगभग 60 प्रतिशत मरीजों को शुरुआती दौर में इस बीमारी का पता चलने पर दो साल तक दवाएं खानी पड़ती है।
लेकिन देरी से पता चलने पर मरीज को उम्र भर दवा खानी पड़ सकती है। 70 से 80 फीसदी मरीजों को तरह-तरह की आवाजें सुनाई देती हैं। ऐसे लक्षण नजर आने पर तुरंत इलाज शुरू कर देना चाहिए।
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