इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : हर साल दुनियाभर में दिसंबर महीने की पहली तारीख को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों को इस जानलेवा और लाइलाज बीमारी के बारे में बताया जा सके। एड्स और एचआईवी कोई नई बीमारियां नहीं हैं, लेकिन फिर भी आज भी ऐसे कई लोग हैं, जो इसके बारे में कम ही जानते हैं। आज भी एड्स को लेकर कई तरह के मिथक आपको सुनने में मिल जाएंगे। ऐसे में इस बीमारी के बारे में जानना बेहद ज़रूरी हो जाता है।
जानकारी दें,एचआईवी एक वायरस होता है, जो शरीर के इम्यून सिस्टम में सफेद रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है। एचआईवी पॉज़ीटिव होने के बाद एक मरीज़ के लिए मामूली चोट या फिर किसी भी बीमारी से उबरना कठिन हो जाता है। हमारा शरीर कई तरह के वायरस से लड़ने की ताकत रखता है, लेकिन एचआईवी संक्रमण किसी भी बीमारी से लड़ने की शरीर की क्षमता को कमज़ोर बना देता है। एचआईवी एक ऐसा वायरस है जो एक बार हो जाए तो इससे रिकवर नहीं हुआ जा सकता।
वहीँ, अगर एड्स की बात करें तो यह एक ऐसी बीमारी है, जो कई लक्षणों की वजहे बनती है। एचआईवी से संक्रमित रोगी उस वक्त एड्स से भी पीड़ित हो जाता है, जब वो एचआईवी का सही समय पर और सही तरीके से इलाज नहीं करवाता। एक मरीज़ जो एचआईवी पॉज़ीटिव है, ज़रूरी नहीं कि उसे एड्स भी हो, लेकिन एड्स उसी को होता है जो एचआईवी पॉज़ीटिव होता है।
ज्ञात हो, हमारे शरीर में सीडी-4 कोशिकाएं या टी-कोशिकाएं होती हैं, जो हमें हेल्दी रखने का काम करती हैं। एचआईवी वायरस इन्हीं कोशिकाओं पर हमला करता है और उनकी संख्या को कम कर देता है। इससे व्यक्ति बैक्टीरिया और वायरस का शिकार आसानी से बनने लगता है। एंटीरेट्रोवायरल ड्रग थेरेपी की मदद से सीडी-4 कोशिकाओं के विनाश को नियंत्रित किया जा सकता है। एचआईवी एक व्यक्ति से दूसरे में स्तन के दूध, योनि द्रव, स्पर्म और खून के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। वायरस आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संभोग के ज़रिए, गर्भावस्था के दौरान मां से बच्चे में और एक इंजेक्शन का उपयोग कई लोगों के लिए करने से हो सकता है।
जानकारी दें, फ्लू से संक्रमित होने पर जैसे लक्षण महसूस होते हैं, ठीक वैसे ही एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति को भी महसूस होता है। शुरुआती लक्षणों में थकान, सिरदर्द, बुखार, त्वचा पर चकत्ते, रात में पसीना आना और गर्दन, कमर व लिम्फ नोड्स में सूजन आ जाना शामिल हैं।
एड्स ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी (HIV) वायरस के संक्रमण की वजह से होता है। जब एचआईवी का सही समय और सही इलाज नहीं किया जाता, तो इससे एड्स हो सकता है। एड्स एचआईवी की तीसरा और गंभीर स्टेज है। एक व्यक्ति जिसका एचआईवी का इलाज नहीं किया गया है, उसमें एड्स विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। एड्स होने से पहले एक व्यक्ति लगभग 10 से 15 साल तक एचआईवी वायरस के साथ रह पाता है।
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