इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : एड्स के बारे में सामान्यतः बात करें तो एड्स का सीधे सरल शब्दों में मतलब है। शरीर में लोगों से लड़ने की क्षमता कम होने से अप्राकृतिक रोगों से अनेक लक्षण प्रकट होना। जानकरी दें, एचआईवी संक्रमण के बाद बॉडी में एक ऐसी स्थिति बन जाती है कि इससे संक्रमित व्यक्ति की मामूली से मामूली बीमारियों का इलाज भी दूभर हो जाता है और मरीज मृत्यु की ओर खिंचा चला जाता है। आज भी यह खतरनाक बीमारी दुनियाभर के करोड़ों लोगों के शरीर में पल रही है। एड्स जैसी महामारी के कारण अफ्रीका के तो कई गांव नष्ट हो चुके हैं।

एड्स का इतिहास,इसके फैलने की पटकथा

जानकारी दें, एचआईवी का इतिहास जानवरों से जुड़ा हुआ है। 19वीं सदी में सबसे पहले अफ्रीका के खास प्रजाति के बंदरों में एड्स का वायरस मिला था। माना जाता है कि बंदरों से यह रोग इंसानों में फैला है। ऐसा इसलिए क्योंकि अफ्रीका के लोग बंदर खाते थे। ऐसे में यह अनुमान लगाया जाता है कि बंदर खाने से वायरस इंसान के शरीर में प्रवेश किया होगा। सबसे पहले 1920 में यह बीमारी अफ्रीका के कॉन्गो की राजधानी किंशासा में फैली। 1959 में कांगो के एक बीमार आदमी के खून के नमूने में सबसे पहले HIV वायरस मिला था। माना जाता है कि वह पहला HIV संक्रमित व्यक्ति था।

वहीँ, अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की रिपोर्ट में और भी कई बातें हैं। उनके अनुसार ये वायरस समलैंगिक युवकों की वजह से फैला। आज से तकरीबन 38 साल पहले 1981 में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के लॉस एंजिलिस पांच पुरुषों में यह वायरस पाया गया था। जो समलैंगिक थे।

एड्स का पहला मरीज

आपको बात दें, एड्स का पहला मामला ‘गैटन दुगास’ नामक व्यक्ति में मिला था। गैटन एक कैनेडियन फ्लाइट अटेंडेंट थे। माना जाता है कि उसने अमेरिका के कई लोगों को संक्रमित करने के लिए जानबूझकर संबंध बनाए थे।

अफ्रीका से पूरी दुनिया में कैसे इसने पैर पसारे

जानकरी दें, 1960 में यह बीमारी अफ्रीका से हैती और कैरिबियाई आइलैंड में फैली। दरअसल औपनिवेशिक लोकतांत्रिक गणराज्य कॉन्गो में हैती के लोग कामकाज किया करते थे। उन्होंने लोकेल लेवल पर शारीरिक संबंध बनाए जिससे उनमें यह बीमारी फैल गई। जब वे अपने घरों को लौटे तो वायरस उनके साथ हैती पहुंचा। उसके बाद वायरस कैरिबिया से न्यू यॉर्क सिटी में 1970 के दौरान फैला और फिर अमेरिका से बाकी दुनिया में पहुंचा।