India News (इंडिया न्यूज), Benefits of Horse Gram Lentils: कुल्थी की दाल, जिसे “हॉर्स ग्राम” के नाम से भी जाना जाता है, न केवल भारतीय खाद्य परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है, बल्कि इसे आयुर्वेद में एक अद्भुत औषधि के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह दाल शरीर में पथरी जैसी तकलीफ को भी दूर करने की क्षमता रखती है। चलिए जानते हैं, कुल्थी की दाल के इतिहास, पोषण गुणों और स्वास्थ्य लाभों के बारे में।


इतिहास का सफर:

कुल्थी की दाल का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। इसका उपयोग वैदिक सभ्यता, गंगा बेसिन सभ्यता और यहां तक कि सरस्वती नदी सभ्यता के दौरान भी किया जाता था। हड़प्पा कालीन सभ्यता की खुदाई में भी कुल्थी के अवशेष मिले हैं, जो यह प्रमाणित करते हैं कि यह दाल प्राचीन समय से भारतीय उपमहाद्वीप में खाई जाती रही है। वेदों में इसके औषधीय गुणों का उल्लेख किया गया है।

आधुनिक समय में इसे “भविष्य के लिए संभावित खाद्य स्रोत” के रूप में वर्णित किया गया है। इसका उपयोग मुख्य रूप से भारत के दक्षिणी और पहाड़ी इलाकों में किया जाता है। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इसे “गरीबों की दाल” के रूप में जाना जाता है, जो न केवल पोषण बल्कि चारे के रूप में भी उपयोगी है।

हाई कोलेस्ट्रॉल होते ही डाइट में तुरंत एड कर दें ये 5 फूड्स, नसों में जमा फैट धड़ल्ले से होगा साफ़


पोषण से भरपूर:

कुल्थी की दाल में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, घुलनशील और अघुलनशील फाइबर, खनिज और जैविक रूप से सक्रिय यौगिक प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह दाल विशेष रूप से निम्नलिखित पोषक तत्वों से भरपूर है:

  • प्रोटीन: शरीर की मांसपेशियों और ऊतकों के निर्माण के लिए आवश्यक।
  • आयरन: खून की कमी (एनीमिया) दूर करने में सहायक।
  • कैल्शियम और फॉस्फोरस: हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए।
  • फाइबर: पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित करने में सहायक।
  • पोटेशियम और मैग्नीशियम: रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए।

गर्मियों में आपके शरीर के लिए जहर बन जाएंगी ये सब्जियां जो इनके संग कर ली ये गलतियां, एनर्जी के नाम पर बचेगा ठेंगा!


आयुर्वेद और कुल्थी:

आयुर्वेद में कुल्थी की दाल को पथरी, कोलेस्ट्रॉल, बवासीर, और वजन घटाने जैसी समस्याओं के समाधान के लिए विशेष रूप से महत्व दिया गया है। इसे एक “सुपरफूड” माना जाता है।

  1. पथरी का समाधान:
    • कुल्थी की दाल में फेनोलिक एसिड, फ्लैवोनॉएड्स और टैनिंस होते हैं, जो किडनी स्टोन को गलाने में मदद करते हैं।
    • आयुर्वेदिक विशेषज्ञ इसे रात भर भिगोकर उसके पानी का सेवन करने की सलाह देते हैं।
  2. कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण:
    • इसमें मौजूद फाइबर और लिपिड खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को नियंत्रित करते हैं।
    • हार्ट ब्लॉकेज के खतरे को कम करने के लिए सुबह खाली पेट इसका पानी पीना फायदेमंद है।
  3. डायबिटीज में लाभकारी:
    • ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक।
  4. पाचन और वजन प्रबंधन:
    • फाइबर से भरपूर होने के कारण यह कब्ज, आंतों की सफाई और पाचन सुधारने में मदद करती है।
    • यह वजन घटाने में भी सहायक है।
  5. हृदय और रक्तचाप:
    • पोटेशियम और मैग्नीशियम की मौजूदगी रक्तचाप को नियंत्रित करती है और हृदय को स्वस्थ रखती है।
  6. हड्डियों और एनीमिया में सहायक:
    • कैल्शियम और आयरन की भरपूर मात्रा हड्डियों को मजबूत करती है और एनीमिया से राहत देती है।

कोलेस्ट्रॉल को नसों में जमने से पहले ही कच्चा निगल जाएंगी ये 5 चीजें, दिल को रखेंगी ऐसा हेल्दी की आप भी कहेंगे ‘भई वाह’


कुल्थी की दाल का सेवन कैसे करें?

  • इसे रातभर भिगोकर सुबह खाली पेट इसके पानी का सेवन करें।
  • इसका उपयोग सूप, पराठा या दाल के रूप में करें।
  • इसे अंकुरित कर सलाद में मिलाकर खाएं।

कुल्थी की दाल न केवल एक प्राचीन खाद्य पदार्थ है, बल्कि यह स्वास्थ्य लाभों का खजाना भी है। इसका नियमित सेवन कई गंभीर बीमारियों से बचाव और उपचार में मददगार हो सकता है। आज के समय में, जब पोषण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, कुल्थी की दाल को अपने आहार में शामिल करना एक सशक्त कदम होगा।

तो आइए, इस प्राचीन दाल को अपनी थाली का हिस्सा बनाकर अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं।

न काजू न बादाम बढ़ते कोलेस्ट्रॉल को कच्चा निगल जाता है ये ड्राईफ्रूट, शरीर को बनाता है ऐसा फौलादी कि अब तो डॉक्टर्स भी करते है बढाइयां!