इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली।
Blindness : काला मोतियाबिंद (Black Cataract) यानी ग्लूकोमा (Glaucoma) दुनिया भर में लाखों लोगों की आंखों की रोशनी छीन चुका है लेकिन फिर भी इसे लेकर समाज में पर्याप्त जागरूकता का अभाव है। ग्लूकोमा के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिये छह से 12 मार्च तक विश्व ग्लूकोमा सप्ताह मनाया गया है। यह भारत में दृष्टिहीनता की मुख्य वजह है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में ग्लूकोमा के कारण करीब 45 लाख लोगों की आखों की रोशनी चली गयी है। भारत में कम से कम एक करोड़ 20 लाख लोग ग्लूकोमा से पीड़ित हैं और कम से कम 12 लाख लोग इसकी चपेट में आकर दृष्टिहीन हो चुके हैं। देश में ग्लूकोमा के 90 फीसदी से अधिक मामले पकड़ में नहीं आते हैं।
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वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ ने बताया ग्लूकोमा के मरीजों को यह बताया नहीं जाता है कि बीच में दवा छोड़ने का क्या परिणाम होगा जिसके कारण इसकी दवा लोग अक्सर बीच में छोड़ देते हैं , जिससे बीमारी और अधिक गंभीर हो जाती है। ग्लूकोमा के मरीजों को यह जानना होगा कि दवा से ग्लूकोमा को सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है, खत्म नहीं। ग्लूकोमा की दवा महंगी होने के कारण भी कई बार मरीज इसे लेना बंद कर देते हैं जिससे दृष्टिहीनता का खतरा बढ़ जाता है।
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