India News (इंडिया न्यूज), Cancer Treatment: भारत में कैंसर के मामले चिंताजनक रूप से बढ़ते जा रहे हैं। अमेरिका और चीन के बाद भारत में कैंसर मरीजों की संख्या दुनिया में तीसरे स्थान पर है। हर 10 कैंसर मरीजों में से लगभग 5 मरीजों की मृत्यु हो जाती है, और ट्रीटमेंट के बाद भी कोई गारंटी नहीं रहती कि यह बीमारी दोबारा नहीं लौटेगी।
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए टाटा मेमोरियल अस्पताल और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के वैज्ञानिकों ने कैंसर के इलाज और इसके दोबारा होने से रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण खोज की है। डॉक्टरों ने एक टैबलेट विकसित की है जो कैंसर उपचार में नई उम्मीद जगाने के साथ-साथ थेरेपी के साइड इफेक्ट्स को भी कम करने में सहायक होगी।
कैसे हुआ यह शोध?
कैंसर पर यह शोध एक गहरे अध्ययन का परिणाम है। वैज्ञानिकों ने चूहों में मनुष्य के कैंसर सेल्स को डाला, जिससे उनमें ट्यूमर का निर्माण हुआ। इसके बाद चूहों का इलाज रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी और सर्जरी के जरिए किया गया। शोध के दौरान पाया गया कि कैंसर सेल्स जब नष्ट होती हैं तो वे छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं, जिन्हें क्रोमेटिन कण कहा जाता है। ये कण ब्लड फ्लो के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंच सकते हैं और हेल्दी सेल्स में प्रवेश कर उन्हें कैंसर सेल्स में बदल सकते हैं। इसी कारण कैंसर ट्रीटमेंट के बाद भी यह बीमारी वापस आ सकती है।
क्रोमेटिन कण को बेअसर करने वाली टैबलेट
इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए डॉक्टरों ने एक विशेष टैबलेट विकसित की है। यह टैबलेट रेसवेरेट्रॉल और कॉपर के संयोजन से बनी है, जिसे प्रो-ऑक्सीडेंट टैबलेट कहा जा रहा है। शोध में यह टैबलेट क्रोमेटिन कणों को बेअसर करने में सफल साबित हुई। लगभग एक दशक के लंबे अनुसंधान के बाद यह सफलता मिली है।
कैसे मदद करेगी यह टैबलेट?
- साइड इफेक्ट्स में कमी: यह टैबलेट कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान होने वाले साइड इफेक्ट्स को लगभग 50% तक कम करने में सहायक होगी।
- कैंसर की पुनरावृत्ति रोकने में मदद: शोध के अनुसार, यह टैबलेट कैंसर के दोबारा फैलने की संभावना को लगभग 30% तक कम कर सकती है।
- किफायती उपचार: वर्तमान में कैंसर का इलाज लाखों से करोड़ों रुपये तक का खर्चा हो सकता है। लेकिन यह टैबलेट मात्र 100 रुपये में उपलब्ध होगी, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग भी इसका लाभ उठा सकेगा।
एफएसएसएआई की मंजूरी का इंतजार
टैबलेट को बाजार में उपलब्ध कराने से पहले फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी (FSSAI) की मंजूरी जरूरी है। उम्मीद है कि यह मंजूरी जून-जुलाई तक मिल जाएगी। मंजूरी के बाद यह टैबलेट कैंसर ट्रीटमेंट को बेहतर और अधिक प्रभावी बनाने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
विशेषज्ञों की राय
टाटा मेमोरियल अस्पताल के वरिष्ठ कैंसर सर्जन और पूर्व निदेशक, डॉ. राजेंद्र बडवे ने इस टैबलेट को कैंसर उपचार में क्रांतिकारी कदम बताया है। उनका कहना है, “यह टैबलेट कैंसर ट्रीटमेंट के साइड इफेक्ट्स को आधे से कम कर सकती है और दूसरी बार कैंसर फैलने के चांसेस को 30% तक घटा सकती है। यह टैबलेट आम जनता के लिए मात्र 100 रुपये में उपलब्ध होगी, जो इसे अब तक का सबसे किफायती इलाज बनाती है।”
टाटा मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह टैबलेट कैंसर के उपचार में एक नई क्रांति ला सकती है। इसकी कम कीमत और प्रभावी परिणाम इसे देश के करोड़ों कैंसर मरीजों के लिए एक नई उम्मीद बना सकते हैं।
भारत जैसे देश, जहां कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, इस तरह के नवाचारों की सख्त जरूरत है। यह टैबलेट न केवल मरीजों की जिंदगी बचाने में मदद करेगी, बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाएगी।
Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।