Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
India News (इंडिया न्यूज), English Toilet Seat Reason Of Stomach Problems: आज कल जिसे देखो उसके शरीर में कोई न कोई बीमारी जरूर होती है। छोटे-छोटे बच्चो तक में आजकल रोगो को पलते हुए देखा जाता है यहां तक कि बच्चो में सबसे ज्यादा जल्दी बीमारी पनपती है। इन्ही में से एक बीमारी है पेट की समस्या। जी हाँ..! जो न सिर्फ बच्चो में बल्कि बड़ो में भी अक्सर देखी जाती है। आपने हमेशा सुना होगा कि पेट की बीमारियां अक्सर पेट से पनपती हैं।
जी हाँ! अगर आपका पेट साफ रहे, तो शरीर भी उतना ही हेल्दी रहता है। लेकिन वही, आजकल वेस्टर्न या इंग्लिश टॉयलेट्स की वजह से कई लोग कब्ज और अन्य पेट संबंधी समस्याओं का शिकार होते देखे जा रहे है। जोकि कही न कही इन सभी समस्याओ की सबसे बड़ी प्रॉब्लम बताई जा रही है। सबसे ज्यादा इन टॉयलेट्स के कारण सही तरीके से व्यक्ति का मोशन नहीं हो पाता है, जिससे पहले तो उसका पेट साफ नहीं हो पाता और उसके चलते ही पेट में कब्ज जैसी समस्याएं दिन पर दिन बढ़ने लगती हैं और शरीर पाइल्स जैसी बीमारी का शिकार हो जाता है।
इंग्लिश टॉयलेट्स (वेस्टर्न टॉयलेट्स) का इतिहास 1596 में इंग्लैंड के वैज्ञानिक और इंजीनियर सर जॉन हैरिंगटन से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने इस प्रणाली का आविष्कार किया था। हालांकि, इस आविष्कार में कई खामियां थीं। 1775 में एलेंक्डेंजर कुम्मिंग और 1778 में जोसेफ ब्रामाह ने इसे सुधारने की कोशिश की और फिर यह आधुनिक इंग्लिश टॉयलेट के रूप में विकसित हुआ। 19वीं शताब्दी तक इसे एक तरह से लग्जरी (लक्जरी) माना जाता था, लेकिन अब यह आम हो चुका है और विश्वभर में इसका इस्तेमाल बढ़ गया है।
हालांकि, इंग्लिश टॉयलेट्स की यह प्रणाली便利 है, लेकिन इसके साथ कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी जुड़ी हुई हैं। उदाहरण के लिए, कब्ज (कब्ज) और पेल्विक बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। आइए जानते हैं कि इंग्लिश टॉयलेट के उपयोग से होने वाली कुछ प्रमुख समस्याओं और उनके समाधान के बारे में।
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इंग्लिश टॉयलेट पर बैठने का तरीका आमतौर पर 90 डिग्री के कोण पर होता है। जब लोग इस पोजीशन में बैठते हैं, तो आंतों का रास्ता ब्लॉक हो जाता है, जिससे मल बाहर नहीं निकल पाता और कब्ज जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ लोग गलत पोजीशन में बैठकर, जैसे कमर को झुका कर बैठते हैं, जिससे आंतों का मार्ग और भी प्रभावित हो सकता है, और पेट साफ नहीं हो पाता।
इस समस्या का समाधान सही पोजीशन में बैठने से हो सकता है। अगर इंग्लिश टॉयलेट का उपयोग करना है तो एक स्टूल का इस्तेमाल करें और पैर उस पर रखें। इससे शरीर में लगभग 35 डिग्री का एंगल बनता है, जिससे मल आसानी से बाहर निकल सकता है। हालांकि, यह पोजीशन शुरू में अजीब लग सकती है, लेकिन नियमित उपयोग से कब्ज की समस्या कम हो सकती है और पाचन प्रक्रिया में सुधार हो सकता है।
गट हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. मणि कुमार के अनुसार, इंडियन टॉयलेट वेस्टर्न टॉयलेट्स से बेहतर होते हैं। इंडियन टॉयलेट में स्क्वाट पोजीशन में बैठने से मल का निष्कासन सहज और सरल होता है, क्योंकि यह आंतों के मार्ग को प्राकृतिक स्थिति में बनाए रखता है। इसके मुकाबले इंग्लिश टॉयलेट में बैठने से आंतों का मार्ग ठीक से खुल नहीं पाता और मल पेट में ही फंसा रह सकता है।
इंडियन टॉयलेट में स्क्वाट पोजीशन में बैठने से शरीर के निचले हिस्से पर दबाव डालकर मल को बाहर निकाला जा सकता है, जिससे कब्ज की समस्या को कम किया जा सकता है।
अगर किसी कारणवश इंग्लिश टॉयलेट का ही उपयोग करना पड़े, तो इसे सही तरीके से उपयोग करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए, आपको एक स्टूल का सहारा लेना चाहिए, जिस पर आप अपने पैर रख सकें। यह पोजीशन शरीर में 35 डिग्री का एंगल बनाएगी, जिससे मल का निष्कासन सही तरीके से हो सकेगा। यह तकनीक पेट से मल बाहर निकालने में मदद करती है, और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत मिल सकती है।
इंग्लिश टॉयलेट का सही उपयोग करने से पहले, सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीने की आदत डालें। यह आंतों को साफ करने में मदद करता है और पेट से मल को बाहर निकालने में मददगार हो सकता है। गुनगुना पानी आंतों के संकुचन को प्रोत्साहित करता है, जिससे कब्ज की समस्या को दूर किया जा सकता है। यह आदत पाचन प्रक्रिया को सुचारू और सक्रिय बनाए रखने में सहायक है।
इंग्लिश टॉयलेट का लगातार उपयोग पेल्विक बीमारियों का कारण बन सकता है। रिसर्च से यह पाया गया है कि इस प्रकार के टॉयलेट्स का इस्तेमाल करने से पाइल्स (बवासीर) जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। कब्ज के कारण पेट पर दबाव बढ़ता है और मल को बाहर निकालने के लिए जोर डालने से गुदा की नसों में सूजन आ सकती है। इसके अलावा, पानी के जेट से भी नसें डैमेज हो सकती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए सही पोजीशन में बैठना और आंतों को स्वस्थ बनाए रखना जरूरी है।
इंग्लिश टॉयलेट्स का आविष्कार यद्यपि स्वच्छता और सुविधा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, लेकिन उनके उपयोग से जुड़ी कुछ स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कब्ज और पेल्विक बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, यदि इंग्लिश टॉयलेट का उपयोग करना पड़े, तो सही पोजीशन में बैठने का प्रयास करें, जैसे पैर को एक स्टूल पर रखें, ताकि शरीर में सही एंगल बने और मल का निष्कासन आसान हो सके। इसके अतिरिक्त, एक हेल्दी लाइफस्टाइल और सही आहार को अपनाकर भी आप अपनी पाचन प्रणाली को बेहतर बना सकते हैं।
Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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