इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :

कोरोना महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान दुनियाभर के देशों में लोग लंबे समय तक अपने घरों में कैद रहे। काफी दिनों तक लोगों का बाहर निकलना पूरी तरह बंद हो गया था। ऐसे में लोग बाहर टहलने तक को नहीं निकल पाते थे। ज्यादातर लोगों का वर्कआउट नहीं के बराबर हो गया था। घर में पड़े-पड़े बहुत सारे लोगों का वजन भी बढ़ गया और इसकी वजह से डायबिटीज का खतरा भी बढ़ गया। ब्रिटेन में हुए एक नए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है कि कोविड-19 महामारी के दौरान कई बार लगे लॉकडाउन में लोगों के वजन बढ़ने से उनमें टाइप-2 मधुमेह होने का खतरा बढ़ गया है। रिसर्च जर्नल ह्यलांसेट डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलॉजीह्ण में यह स्टडी प्रकाशित हुई है।

40 वर्ष से कम उम्र के लोगों का इतना बढ़ा वजन

रिसर्च जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के मधुमेह रोकथाम कार्यक्रम में आने वाले 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों का वजन पहले आने वाले लोगों की तुलना में औसतन साढ़े तीन किलोग्राम बढ़ा हुआ है। किसी व्यक्ति का एक किलोग्राम वजन बढ़ने से उसे मधुमेह होने का खतरा आठ प्रतिशत तक बढ़ जाता है। एनएचएस के अधिकारी डॉ जोनाथन वलभजी ने कहा कि महामारी ने हमारे जीवन के हर पक्ष को बदल दिया है और हमारे मस्तिष्क तथा शरीर पर हावी हो गया है। हजारों लोग इसकी भारी कीमत चुका रहे हैं और लॉकडाउन के दौरान कई लोगों का वजन बढ़ गया है।

मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज का संबंध

क्या आप जानते हैं कि मोटापा आखिर क्यों टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ाने का अहम कारण है? पहली वजह है गलत खानपान की आदत। इस वजह से मोटापा बढ़ना लाजिमी है। खानपान की गलत आदतें, टाइप-2 डायबिटीज का अहम रिस्क फैक्टर है। दूसरी वजह मोटापे के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है। इंसुलिन यानी ऐसा हार्मोन जो शुगर के साथ मिलकर उसके इनटैक को संभव बनाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन की कमी के कारण नहीं उसके रेजिस्टेंस के कारण समस्या आती है। एक और हार्मोन जिसे ग्लुकागोन कहा जाता है, इसका स्त्राव भी प्रभावित होता है और इस वजह से भी समस्या होती है। तीसरी वजह कि हमारे शरीर में ग्लुकोज की मात्रा इतनी ज्यादा हो जाती है कि शरीर उसका इस्तेमाल नहीं कर पाता है और ऐसे में डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।

डायबिटीज के अलावा कैंसर, हार्ट अटैक का भी खतरा

विशेषज्ञों की माने तो वजन बढ़ने का अर्थ यह भी है कि टाइप-2 डायबिटीज होने के खतरा बढ़ गया है। इसके साथ ही कैंसर, अंधापन, हार्ट अटैक जैसी चीजें भी हो सकती हैं। यानी मोटापा न केवल डायबिटीज का खतरा बढ़ाता है, बल्कि हार्ट अटैक, कैंसर जैसी अन्य बीमारियों के होने की संभावना भी पैदा करता है। ब्रिटेन में केयर एट डाइबिटीज के प्रमुख डेन हावर्थ ने कहा कि टाइप 2 डायबिटीज एक जटिल स्थिति है जिसमें आयु, फैमिली हिस्ट्री, कम्यूनिटी समूहों के साथ अन्य जोखिम कारक भी रहते हैं। ये गंभीर स्थिति के विकास में 80-85 प्रतिशत तक का योगदान देते हैं।