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Corona Vaccine एंटीबॉडी कम होने पर भी कोरोना से मुकाबला कर सकता है टी सेल

Mukta • LAST UPDATED : October 3, 2021, 6:07 am IST

Corona Vaccine  कोरोना वायरस से जुड़े सवालों के जवाब खोजने के लिए रिसर्च का सिलसिला पूरी दुनिया में जारी है। हालांकि अभी तक इसका कोई ठोस इलाज तो नहीं मिल पाया है। लेकिन शरीर की एंटीबॉडी बढ़ाने के लिए वैक्सीन के लगाने पर पूरा जोर है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन लगाने के बाद शरीर में एंटीबॉडी के कमजोर होने पर किस तरह से टी सेल वायरस का मुकाबला करने में सक्षम है। इजराइल और अमेरिका से मिले आंकड़ों के मुताबिक वैक्सीन के बाद कोरोना संक्रमण से सुरक्षा में गिरावट आई है। लेकिन वो इसमें एक बात को लेकर काफी आश्वस्त हैं कि वैक्सीन के चलते इन देशों में अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की दर में गिरावट आई है।

Corona Vaccine

ऐसे ही कुछ आंकड़ें यूके यानी यूनाइटेड किंगडम से भी आए हैं, वहां भी अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की दर में गिरावट देखी गई है। रिपोर्ट में वैक्सीन, एंटीबॉडी और इम्यून सिस्टम पर उसके असर से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए हैं।

वायरस हमारे शरीर में कहां से हमला करता है? (Corona Vaccine )

रिपोर्ट में प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम के बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये एक जटिल सामूहिक प्रक्रिया है, जो हमें बैक्टीरिया और वायरस से बचाती है। वायरस हमारे शरीर में दो जगहों पर हमला करता है। एक-परिसंचरण तंत्र यानी सर्कुलेट्री सिस्टम जहां से वह शरीर में घूमता है। दूसरा- ऊतकों की कोशिकाएं यानी टिशू सेल्स हैं, इन हमला कर वायरस कई गुना बढ़ता है।

कौन करेगा वायरस से मुकाबला (Corona Vaccine )

शरीर में वायरस से लड़ने वाला का पहला हथियार है एंटीबॉडी। ये बड़े प्रोटीन अणु होते हैं, जो वायरस से मुकाबले के लिए लॉक-इन कर सेल्स पर हमला रोकते हैं। एंटीबॉडी शरीर की पहली रक्षा पंक्ति होती है। लेकिन वायरस के शरीर के सेल्स में एंट्री के बाद एंटीबॉडी अप्रभावी हो जाती हैं।

ऐसे में किलर टी सेल का रोल शुरू होता है। टी-सेल्स हमारे इम्यून सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। अच्छी बात ये है कि वैक्सीन टी-सेल्स को वायरस और इसके वेरिएंट्स से लड़ने के काबिल बनाती है। टी सेल वायरस सेल्स को मार देता है। एंटीबॉडी कमजोर होने पर भी मजबूत टी सेल्स हमारी रक्षा करते हैं।

गंभीर बीमारी से बचाएगा टी सेल (Corona Vaccine )

कोरोना का टीका दोहरी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया करता है। एंटीबॉडी का लेवल समय के साथ घटता है। एंटीबॉडी उत्पादन के लिए सिस्टम में मेमोरी होती है। कमजोर एंटीबॉडी से भले ही कोरोना हो जाए, लेकिन यदि टी सेल की प्रतिक्रिया बरकरार है, तो गंभीर बीमारी नहीं होगी।

तीसरी डोज कितनी मददगार (Corona Vaccine )

एक्सपर्ट्स के अनुसार, कोरोना वैक्सीन की दो डोज के बाद अस्पताल में भर्ती होने की दर बहुत कम हो जाती है। तीसरी डोज से एंटीबॉडी के लेवल में सुधार होता है। कुछ देश हाई रिस्क वाली पॉपुलेशन को तीसरी डोज भी दे रहे हैं।

वैक्सीन की डोज का असर कब तक (Corona Vaccine )

कोरोना की जो भी वैक्सीन अभी बनी है, वो सारी कोविड के मूल वुहान स्ट्रेन पर बेस्ड हैं। टीके की दो या तीन डोज कब तक प्रभावी रहेगी? नए वेरिएंट से कितनी सुरक्षा मिलेगी? इसके बारे में अभी कुछ नहीं कह सकते हैं। क्योंकि अभी दुनिया के सामने बड़ी चुनौती वैक्सीनेटेड लोगों और अनवैक्सीनेटेड लोगों के बीच वायरस के संक्रमण को रोकना है।

भारतीय आबादी में वैक्सीन की दो डोज की प्रभावशीलता और तीसरी डोज के असर का कोई व्यापक डेटा नहीं है। ऐसे में बच्चों को वैक्सनी लगाने का प्रोसेस जल्द शुरू होना चाहिए। इसके साथ ही इंफैक्शन को रोकने के लिए मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, सफाई और भीड़-भाड़ वाले स्थानों में उचित वेंटिलेशन जरूरी है।

(Corona Vaccine)

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