नेचुरोपैथ कौशल
Depression Ke Karan अवसाद या डिप्रेशन का तात्पर्य मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोभावों संबंधी दुख से होता है। इसे रोग या सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। आयुर्विज्ञान में कोई भी व्यक्ति डिप्रेस्ड की अवस्था में स्वयं को लाचार और निराश महसूस करता है।
उस व्यक्ति-विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहाँ तक कि संबंध तक बेमानी हो जाते हैं।
उसे सर्वत्र निराशा, तनाव, अशांति, अरुचि प्रतीत होती है।
इनमें कुपोषण, आनुवांशिकता, हार्मोन, मौसम, तनाव, बीमारी, नशा, अप्रिय स्थितियों में लंबे समय तक रहना, पीठ में तकलीफ आदि प्रमुख हैं।
इनके अतिरिक्त अवसाद के रोगियों में नींद की समस्या होती है।
मनोविश्लेषकों के अनुसार अवसाद के कई कारण हो सकते हैं।
यह मूलत: किसी व्यक्ति की सोच की बुनावट या उसके मूल व्यक्तित्व पर निर्भर करता है।
अवसाद लाइलाज रोग नहीं है।
इसके पीछे जैविक, आनुवांशिक और मनोसामाजिक कारण होते हैं।
यही नहीं जैवरासायनिक असंतुलन के कारण भी अवसाद घेर सकता है।
(Depression Ke Karan)
[2] इसकी अधिकता के कारण रोगी आत्महत्या तक कर सकते हैं।
[3] इसलिए परिजनों को सजग रहना चाहिए और उनके परिवार का कोई सदस्य गुमसुम रहता है, अपना ज्यादातर समय अकेले में बिताता है, निराशावादी बातें करता है तो उसे तुरंत किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं।
उसे अकेले में न रहने दें।
हंसाने की कोशिश करें।
[4] मनोविश्लेषकों के अनुसार प्राकृतिक तौर पर महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा अवसाद की शिकार कम बनती हैं, लेकिन अवांछित दबावों से वह इसकी शिकार हो सकती हैं।
इस कारण प्रायः माना जाता है कि महिलाओं को अवसाद जल्दी आ घेरता है।
इसके विपरीत पुरुष अक्सर अपनी अवसाद की अवस्था को स्वीकार करने से संकोच करते हैं।
मोटे अनुमान के अनुसार दस पुरुषों में एक जबकि दस महिलाओं में हर पांच को अवसाद की आशंका रहती है।
अवसाद का संबंध मस्तिष्क के उन्हीं क्षेत्रों द्वारा होता है, जहां से निद्रा चक्र और जागरण की अवस्था नियंत्रित होती है।
अवसाद अक्सर दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटर्स की कमी के कारण भी होता है।
न्यूरोट्रांसमीटर्स दिमाग में पाए जाने वाले रसायन होते हैं जो दिमाग और शरीर के विभिन्न हिस्सों में तारतम्यता स्थापित करते हैं।
इनकी कमी से भी शरीर की संचार व्यवस्था में कमी आती है और व्यक्ति में अवसाद के लक्षण दिखाई देते हैं।
इस तरह का अवसाद आनुवांशिक होता है।
अवसाद के कारण निर्णय लेने में अड़चन, आलस्य, सामान्य मनोरंजन की चीजों में अरुचि, नींद की कमी, चिड़चिड़ापन या कुंठा व्यक्ति में दिखाई पड़ते हैं।
अवसाद के कारणों में इसका एक पूरक चिंता (एंग्ज़ायटी) भी है।
(Depression Ke Karan)
[5] इसके उपचार में योगासन में प्राणायाम बहुत सहायक सिद्ध हुआ है।
कई बार अतिरिक्त चिड़चिड़ापन, अहंकार, कटुता या आक्रामकता अथवा नास्तिकता, अनास्था और अपराध अथवा एकांत की प्रवृत्ति पनपने लगती है या फिर व्यक्ति नशे की ओर उन्मुख होने लगता है।
ऐसे में जरूरी है कि हम किसी मनोचिकित्सक से संपर्क करें।
व्यक्ति को खुशहाल वातावरण दें।
उसे अकेला न छोड़ें तथा छिन्द्रान्वेषण कतई न करें।
उसकी रुचियों को प्रोत्साहित कर, उसमें आत्मविश्वास जगाएँ और कारण जानने का प्रयत्न करें।
[6] अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने गहन शोध के बाद यह दावा किया है कि यदि कोई व्यक्ति लगातार सकारात्मक सोच का अभ्यास करता है, तो वह उसके डिप्रेशन या अवसाद की स्थिति का एकमात्र इलाज हो सकता है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ फैमेली फिजिशियन का कहना है कि लोगों को नकारात्मक नहीं सोचना चाहिए।
न ही विफलता के भय को लेकर चिंतित होते रहना चाहिए।
इनकी बजाय हमेशा सकारात्मक सोच दिमाग में रखना चाहिए जो होगा अच्छा होगा।
[7] घर में अन्य सदस्यों को अवसाद की बीमारी होने से भी यह परेशानी महिलाओं को जल्दी पकड़ती है।
क्योंकि घर से लगाव पुरुषों के मुकाबले उन्हें ज्यादा होता है।
इसके चलते कभी-कभी उनमें आत्महत्या की इच्छा जोर मारने लगती है।
इसलिए पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का अवसाद ज्यादा खतरनाक होता है।
हालांकि मंदी और कॉम्पटीशन के दौर में डिप्रेशन अब युवाओं को भी अपना शिकार बनाने लगा है इसलिए कोशिश यह रखनी चाहिए कि आप खुशनुमा पलों की तलाश करें और सकारात्मक सोच रखें।
इससे बचने के उपायों में व्यस्त रहकर मस्त रहना, अपने लिए समय निकालना, संतुलित आहार सेवन, अपने लिए समय निकालना और सामाजिक मेलजोल बढ़ाना मूल उपाय हैं।
(Depression Ke Karan)
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