Difference Between Heart Attack And Cardiac Arrest कोरोनरी आर्टरी डिजीज अमंग एशियन इंडियन नामक अंतर्राष्ट्रीय संस्था की एक रिपोर्ट बताती है कि 2020 में हृदय की बीमारियों के चलते पूरी दुनिया में करीब 1.20 करोड़ लोगों की मौत हुई। भारत में यह आंकड़ा करीब 40 लाख मौतों का था. भारत में डराने वाले इन आंकड़ों के पीछे दो वजह थीं, पहली वजह थी कार्डियेक अरेस्ट और दूसरी थी हार्ट अटैक।
आम बोलचाल में हार्ट अटैक और कार्डियेक अरेस्ट को एक-दूसरे का पर्यायवाची माना जाता है, लेकिन ऐसा है नहीं। मेडिकल साइंस में दोनों के बिल्कुल अलग मायने हैं। कार्डियेक अरेस्ट से हार्ट अटैक किस तरह अलग है। इनको कैसे पहचाने और बचाव कैसे संभव है।
हार्ट यानी हृदय को काम करने के लिए ऑक्सीजन युक्त रक्त की जरूरत होती है। हृदय में इस ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति कोरोनरी धमनियों द्वारा की जाती है। कोरोनरी धमनियों में ब्लॉकेज की वजह से रक्त की आपूर्ति हृदय की मांशपेशियों तक पहुंचना बंद हो जाती है।
खून न मिलने की वजह से धीरे-धीरे हृदय की कोशिकाएं मरने लगती हैं। नतीजतन, हृदय की कार्यक्षमता समय के साथ कम होती जाती है। एक समय ऐसा आता है, जब हृदय की कार्यक्षमता आवश्यकता से बहुत कम हो जाती है और दबाव बहुत अधिक हो जाता है। इस स्थिति में हृदय कार्य करना बंद कर देता है, जिसे मेडिकल भाषा में हार्ट अटैक कहते हैं। समय पर बीमारी की पहचान न होने या सही समय पर इलाज न मिलने पर मृत्यु की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
कार्डियेक अरेस्ट यानी ‘हार्ट का अरेस्ट’ हो जाना। जब हृदय पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है, उसे कार्डियेक अरेस्ट कहते हैं। अब सवाल है कि यह क्यूं होता है. दरअसल, हृदय के अंदर सोडियम, कैल्शियम और पोटेशियम के चैनल्स होते हैं। इन चैनल्स में असंतुलन की वजह से हृदय की धड़कन अनिमित हो जाती है, जिसे मेडिकल भाषा में वीटीबीएस कहा जाता है।
ऐसी स्थिति में समय रहते यदि मरीज को इलेक्ट्रिक शॉक नहीं दिया गया तो उसकी मृत्यु हो जाती है। आप इस स्थित की गंभीरता इस बात से भी समझ सकते हैं कि समय पर शॉक नहीं मिलने पर मरीज की जान सुरक्षित होने की संभावना दर हर एक मिनट में 10 फीसदी कम होती जाती है।ऐसी स्थिति से बचने के लिए अब बहुत सारे डिवाइस आ गए हैं, जिन्हें हाईरिस्क मरीजों इनप्लाइंट किया जाता है।
शरीर में किसी भी तरह की बीमारी की आहट आपका शरीर आपको दे देता है। जरूरत है उस आहट को सही समय पर पहचानने की। हृदय रोग के मरीज को सबसे पहली आहट एंजाइना के तौर पर हो सकती है, इसमें फिजिकल एक्टिविटी के दौरान, आपकी सांस फूलती है या सीने में दर्द होता है।
दरअसल, इस स्थित में मरीज के हार्ट कोरोनरी आर्टरी ब्लॉकेज हो चुकी होती हैं और फिजिकल एक्टिविटी के दौरान आपको ज्यादा ब्लड फ्लो की जरूरत होती है। उस दौरान, हृदय पर दबाव होने के चलते आपके सीने में दर्द होता या अधिक सांस फूलने लगती है। यदि आपको फिजिकल एक्टिविटी के दौरान, घबराहट, सीने में दर्द, सांस फूलना आदि के संकेत दिख रहे हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से मिलने में देर नहीं करनी चाहिए।
(Difference Between Heart Attack And Cardiac Arrest)
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