इंडिया न्यूज (Follow These Methods in Case Of Jaundice )
बारिश में पेयजल का दूषित होना आम दिक्कत है। कभी कभी बिना देखे व जांच हम लोग दूषित पानी व उसी पानी से बना खाना खा लेते हैं तो इसका ज्यादातर असर हमारी किडनी और लिवर पर पड़ता है। इसी वजह से बारिश में पीलिया जैसी बीमारी ज्यादा सुनने को मिलती है। पीलिया किडनी की सेहत से जुड़ी बीमारी है। ऐसे में किडनी को स्वस्थ रखना जरूरी है। तो आइए जानते हैं पीलिया होने पर कैसे करें बचाव।
पीलिया एक ऐसा रोग है जो हेपेटाइटिस ‘ए’ या हेपेटाइटिस ‘सी’ वायरस के कारण फैलता है। पीलिया शरीर के अनेक भागों को अपना शिकार बनाता है और शरीर को बहुत हानि पहुंचाता है। इस रोग में पाचन तंत्र सही ढंग से काम नहीं करता है और शरीर का रंग पीला पड़ जाता है।
उचित भोजन और नियमित व्यायाम पीलिया की चिकित्सा में महत्वपूर्ण हैं। लेकिन रोगी की स्थिति बेहद खराब हो तो पूर्ण विश्राम करना जरूरी है। पित्त वाहक नली में दबाव बढने और रूकावट उत्पन्न होने से हालत खराब हो जाती है। ऐसी गंभीर स्थिति में 5 दिनों तक अन्न नहीं खाना चाहिए। इस दौरान संतरा, नींबू , नाशपती, अंगूर, गाजर,चुकंदर, गन्ने का रस पीना फायदेमंद होता है। रोगी को रोजाना गरम पानी पीने को दें। इससे आंतों में स्थित विजातीय द्रव्य नियमित रूप से बाहर निकलते रहेंगे और परिणामत: आंतों के माध्यम से अवशोषित होकर खून में नहीं मिलेंगे।
सुबह उठते ही एक गिलास गरम पानी में एक नींबू निचोडकर पियें। नाश्ते में अंगूर ,सेवफल पपीता ,नाशपती तथा गेहूं का दलिया लें । दलिया की जगह एक रोटी खा सकते हैं। मुख्य भोजन में उबली हुई पालक, मैथी, गाजर, दो गेहूं की चपाती और एक गिलास छाछ लें। करीब दो बार नारियल का पानी और सेवफल का जूस लेना चाहिये। रात के भोजन में एक कप उबली सब्जी का सूप, गेहूं की दो रोटी,उबले आलू और उबली पत्तेदार सब्जी जैसे मेथी ,पालक ।
लहसुन: लहसुन में एलिसिन नामक यौगिक होता है, जो शरीर में सूजन, दर्द, जलन या संक्रमण पैदा करने वाले किसी भी सूक्ष्म जीव को बढ़ने से रोकता है। इसलिए दाल-सब्जियों और चटनी में रोजाना लहसुन का प्रयोग करें। अगर आप किसी स्थिति में संक्रमित खाना खाते हैं या पानी पीते हैं तो लहसुन आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को छानकर आपको स्वस्थ रखने का काम करेगा।
हल्दी: अपने दैनिक आहार में हल्दी पाउडर या कच्ची हल्दी आदि से बनी चटनी को शामिल करें। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी एंजाइम और करक्यूमिन नामक एक यौगिक होता है, जो शरीर में जाता है और बैक्टीरिया, वायरस को खत्म करता है जो सूजन और दर्द का कारण बनते हैं। हालांकि एक बार किसी को जोड़ लग जाए तो उसके इलाज के दौरान हल्दी का सेवन नहीं करना पड़ता। इसके चिकित्सकीय कारण हैं। लेकिन अगर आप स्वस्थ हैं, अगर आप रोजाना खाने में हल्दी का सेवन करते हैं, तो पीलिया का खतरा कम हो जाता है। बरसात के दिनों में आप खाना खाने के बाद एक चौथाई चम्मच हल्दी ताजे पानी के साथ ले सकते हैं। ऐसा दिन में सिर्फ एक बार ही करें।
अदरक: अदरक किडनी को स्वस्थ रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। आप काली चाय में अदरक मिलाकर रोजाना इसका सेवन कर सकते हैं या आप अदरक की कैंडी चूस सकते हैं। अदरक का प्रयोग चटनी, दाल, सब्जी आदि में करें। यह एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीफंगल गुणों से भरपूर होता है।
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