India News (इंडिया न्यूज़), Hymenoplasty Surgery: हाइमेनोप्लास्टी, जिसे “वर्जिनिटी रीस्टोरेशन सर्जरी” के नाम से भी जाना जाता है, एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें महिलाओं के हाइमन को बहाल किया जाता है। हाइमन योनि के प्रवेश द्वार पर स्थित एक पतली झिल्ली होती है। इसे पारंपरिक रूप से “कौमार्य” भी कहा जाता है, हालांकि यह वैज्ञानिक रूप से सही नहीं है। यह झिल्ली न केवल संभोग के कारण, बल्कि कई कारणों से भी टूट सकती है, जैसे शारीरिक गतिविधियाँ, खेल या कोई दूसरी वजहों के कारण भी।

  • क्यों की जाती है हाइमेनोप्लास्टी?
  • इस उम्र की महिलाएं करवा रहीं है ये सर्जरी

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क्यों की जाती है हाइमेनोप्लास्टी?

इस सर्जरी के पीछे बड़ी वजह सामाजिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ हैं। कई समाजों में, खासकर एशियाई देशों और भारतीय उपमहाद्वीप में, कौमार्य को लेकर कुछ मान्यताएँ गहराई से जमी हुई हैं। शादी के समय महिलाएँ खुद पर सामाजिक दबाव महसूस करती हैं, क्योंकि इन जगहों पर कौमार्य को नैतिकता, सम्मान और पवित्रता से जोड़ा जाता है। ऐसी स्थिति में हाइमेनोप्लास्टी सर्जरी एक समाधान के रूप में सामने आती है जिसके माध्यम से महिलाएं हाइमन को पुनर्स्थापित कर सकती हैं।

इसके अलावा, कुछ महिलाएं व्यक्तिगत कारणों से भी इस सर्जरी का सहारा लेती हैं, जैसे आत्म-सम्मान बढ़ाने के लिए या किसी पुराने मानसिक आघात से उबरने के लिए। यहां तक ​​कि चिकित्सा कारणों से योनि या प्रजनन प्रणाली में समस्याओं के इलाज के लिए इस सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

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इस उम्र की महिलाएं करवा रहीं है ये सर्जरी

बता दें की रिसर्च में पाया गया हैं की 20 से 30 वर्ष की आयु की महिलाओं के बीच हाइमेनोप्लास्टी की बढ़ती पॉपुलारिटी के पीछे कई कारण हैं:

1. सांस्कृतिक दबाव: भारतीय समाज में शादी से पहले कौमार्य को लेकर गंभीर मान्यताएं हैं। महिलाओं को शादी से पहले अपने भावी जीवनसाथी और परिवार के सामने “कुंवारी” दिखने का दबाव महसूस हो सकता है।

2. आत्म-सम्मान और सामाजिक छवि: महिलाओं में यह भी दृढ़ विश्वास होता है कि अगर उन्हें “कुंवारी” माना जाएगा, तो समाज में उनका आत्म-सम्मान और सम्मान बढ़ेगा। यह मानसिकता उन्हें इस सर्जरी की ओर ले जाती है।

3. मानसिक आघात और रिकवरी: कुछ महिलाएं आघात या यौन हिंसा के बाद खुद को मानसिक रूप से ठीक करना चाहती हैं। हाइमेनोप्लास्टी जीवन को नए सिरे से शुरू करने का एक तरीका लग सकता है।

4. शहरीकरण और वैश्वीकरण: शहरीकरण और आधुनिकता की ओर बढ़ रहे समाज ने शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं को और अधिक सुलभ बना दिया है। निजी जीवन में बढ़ती जागरूकता और विकल्पों के कारण महिलाएं भी तेजी से इसका विकल्प चुन रही हैं।

5. सोशल मीडिया का प्रभाव: इंटरनेट और सोशल मीडिया ने इस सर्जरी के बारे में जागरूकता फैलाई है। महिलाएं इस प्लेटफॉर्म पर अपनी समस्याएं और अनुभव साझा करती हैं, जिससे अन्य महिलाएं इस प्रक्रिया को चुनने के लिए प्रेरित होती हैं।

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