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GMO Food Side Effects : हम जीएमओ फ़ूड को अपनाते जा रहे हैं बगैर उसके दुष्परिणाम को जाने

GMO Food Side Effects

नेचुरोपैथ कौशल

क्या आप जानते हैं कि हाइब्रिड और जीएमओ खाद्यान्न से नपुंसकता आती है..? अब समय आ गया है जब हमें हाइब्रिड खाद्यान्न को सीरियसली लेना चाहिए। किसी भी वस्तु में तीन ऊर्जाएं होती हैं। ब्रह्म ऊर्जा, विष्णु ऊर्जा तथा शिव ऊर्जा लेकिन आज केवल ब्रह्म ऊर्जा की बात करेंगे। ब्रह्म ऊर्जा किसी भी वस्तु के अंदर चेतना शक्ति को जागृत करती है। अर्थात यदि किसी बीज में ब्रह्म ऊर्जा है तो अनुकूल वातावरण प्राप्त होते ही वह चेतन होगा और अपने वंश वृद्धि करेगा। इसी प्रकार मनुष्य में यदि ब्रह्म ऊर्जा है तो ही वे बच्चे पैदा कर पाएंगे। अर्थात आपका वीर्य आपकी ब्रह्म ऊर्जा है। तथा वीर्य हमारे द्वारा किए हुए भोजन का अंतिम स्वरूप है। हम जैसा भोजन करेंगे, वीर्य उसी गुणवत्ता का बनेगा।

  • जब तक हमारे किसानों के पास देसी बीज थे तो वे पुराने बीजों से ही अगली फसल बोने के लिए बीज रख लेते थे।
    क्योंकि बीजो में ब्रह्म ऊर्जा भरपूर थी।
    जितने भी बीज कम्पनियों ने हाइब्रिड या जेनेटिकली मोडिफाइड बनाए हैं उनको अधिक से अधिक 1 वर्ष तक और प्रयोग में लाया जा सकता है इतनी कम ब्रह्म ऊर्जा इन बीजों में है।
  • यह तो हम सब जानते हैं कि जैसा अन्न, जैसा भोजन हम करेंगे, मन व मस्तिष्क और शरीर वैसा ही रहेगा।
    जो बीज स्वयं अपनी वंश वृद्धि नहीं कर सकते और जो फल जिनमें बीज ही नहीं बनते अर्थात बीज रहित फल, उनको खाकर निसंदेह नपुंसकता ही आएगी, क्योंकि उस भोजन को करने के बाद अंतिम रूप में जो वीर्य बनेगा वह ब्रह्म ऊर्जा रहित ही होगा जो चेतन हो ही नहीं सकता।
  • वैज्ञानिक भाषा में यदि इसको समझे तो प्रकृति द्वारा दी हुई किसी भी खाद्य वस्तु को जब हम खाते हैं तो हमारा शरीर उस आहार के RNA और DNA संरचना के कोड को आसानी से डिकोड करता है तथा उसे पचाने के लिए उसी के अनुसार पाचक रस बनाता है।
    जब अप्राकृतिक रूप से वैज्ञानिकों द्वारा छेड़छाड़ किया हुआ हाइब्रिड या जेनेटिकली मोडिफाइड आहार हमारे शरीर में जाता है तो हमारा पाचन तंत्र उसकी RNA और DNA की संरचना को पहचान नहीं पाता क्योंकि प्राकृतिक रूप से उसे ऐसे भिन्न RNA और DNA संरचना के भोजन की पहचान नहीं होती जिसे प्रकृति ने न बनाया हो।
    और कंफ्यूज हो जाता है।
    इसी कन्फ्यूजन के कारण शरीर में भांति भांति के डिसऑर्डर शुरू हो जाते हैं जो अंत में आपके वीर्य को भी प्रभावित करते हैं।

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  • चेतना शक्ति रहित मनुष्य कभी अपने या अपने समाज के हितों के लिए जागृत नहीं हो सकता।
    वह सदा गुलाम ही बना रहता है।
    यही कारण है कि पिछले 30-40 वर्षों में लोगों की चेतना शक्ति इतनी खत्म हो गई है कि वे सरकार की किसी भी गलत नीति या समाज में हो रहे किसी भी अनैतिक या गलत कार्य का का संगठित होकर साहस पूर्वक विरोध नहीं कर पा रहे हैं। और सरकारें तथा असामाजिक तत्व इस चेतना विहीन समाज का फायदा उठा रहे हैं।
  • इस साधारण से विज्ञान को विदेशियों ने अच्छे से समझा और इससे खूब व्यापारिक लाभ कमा रहे हैं।
    सबसे पहला तो हमारे देशी बीजों को खत्म करवा दिया और किसानों की मार्केट पर डिपेंडेंसी कर दी, अब हर वर्ष किसान करोड़ों रुपए का बीज विदेशी कंपनियों से खरीदते हैं। और दूसरा चिकित्सा का व्यापार इन बीजों तथा बीज रहित फलों और सब्जियों को खाकर आ रही नपुंसकता के कारण दंपत्ति विदेशी कंपनी की दवाई खा खा कर लाखों रुपए खर्च कर देते हैं या फिर कृत्रिम गर्भधान की तरफ दौड़ते हैं। और अपने आसपास आप देखेंगे यह धंधा खूब जोरों से चल रहा है।

जिसका हाइब्रिड और जीएमओ बीज तथा बीज रहित फल और सब्जियां एक बड़ा कारण हैं।

अभी भी समय है पुनः अपने देशी बीजों को एकत्र करने का, उनको संवर्धित करने का, देसी बीज बैंक बनाने का ताकि आने वाली पीढ़ियां मक्खी की की तरह हाथ ना मलती रह जाएं।

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