How Dangerous Is Fainting हम लोगों में से कई लोग अक्सर बेहोश हो जाते हैं। अचानक लगता है कि आंखों के सामने अंधेरा छा गया है और फिर अचानक कुछ भी पता नहीं चलता है। आस-पास जो लोग होते हैं, वह बेहोश होने वाले आदमी को किसी तरह होश में लाते हैं। अगर चार-पांच साल में एक बार बेहोश हो गए तो इसका कोई खास असर शरीर पर नहीं पड़ता लेकिन बार-बार बेहोश होना बॉडी के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।
आमतौर पर लोग इसका कारण न्यूरोलॉजिकल मानते हैं जिसमें हाथ-पैर के आवेग पर नियंत्रण नहीं रह पाता। हालांकि बेहोशी या सिंकोप कार्डिएक नेचर का भी हो सकता है। इसलिए अगर बार-बार बेहोशी का सामना करना पड़े तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। तुरंत डॉक्टरों से संपर्क करना चाहिए। इस तरह की बीमारी में परफेक्ट डॉक्टरों का चयन करना ज्यादा जरूरी है।
क्योंकि कई लोगों को समझ ही नहीं आती कि इस बीमारी के लिए किस डॉक्टरों से दिखाना चाहिए। इसके लिए कार्डिएक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट के पास जाना बेहतर रहेगा। अगर समय पर इसकी पहचान हो जाए तो इसका इलाज किया जा सकता है। देर होने पर दिल से संबंधित कई बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। (How Dangerous Is Fainting)
बेहोशी में किस तरह काम करता है हार्ट
बेहोशी को मेडिकल टर्म में सिंकोप कहते हैं। इस बीमारी में तत्कालिक रूप से खून का बहाव ब्रेन में कम हो जाता है। इसमें चेतना कम हो जाती है और ब्लड प्रेशर इतना कम हो जाता है कि हार्ट ब्रेन में ऑक्सीजन पहुंचाने की क्षमता खो देता है। बेहोशी के कारण न सिर्फ शरीर के बाहरी हिस्सों में चोट लग जाती हैं बल्कि हार्ट के अंदरुनी हिस्से को भी भारी क्षति पहुंचती है। (How Dangerous Is Fainting)
दिल की धड़कन में तेजी से उतार-चढ़ाव आ जाता है
लगातार बेहोश होने से कार्डिएक एरिथेमिया बीमारी हो जाती है। कार्डिएक एरेथेमिया में हार्ट बीट अचानक बहुत तेज या अचानक बहुत कम हो जाती है। यानी दिल की धड़कन में बहुत तेजी से उतार-चढ़ाव होने लगता है। जितने लोगों को लगातार बेहोशी की शिकायत है, उनमें से 10 प्रतिशत लोगों को कार्डिएक एरिथेमिया की बीमारी लग जाती है या किसी और तरह की दिल से संबंधित बीमारियां लग जाती हैं। अगर सही डॉक्टर के पास जाया जाए तो 80 प्रतिशत मामले में लगातार बेहोशी के कारणों का पता चल सकता है और उसका समय पर इलाज भी हो सकता है। (How Dangerous Is Fainting)